कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अब एक साल से भी कम समय बचा है और बीजेपी पार्टी को दुरुस्त करने में जुट गई है। पार्टी एक नया प्रदेश अध्यक्ष राज्यसभा सांसद सामिक भट्टाचार्य बुधवार को बंगाल के नए क्षत्रप बनाए गए। बीजेपी के इस सेनापति के सामने कई चुनौतियां हैं। भट्टाचार्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती चुनाव से पहले राज्य इकाई में गुटबाजी को खत्म करना होगा। बता दें कि सुकांता मजूमदार, नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी और पूर्व सांसद दिलीप घोष के नेतृत्व वाले गुटों के बीच खींचतान चलती रही है। केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि भट्टाचार्य राज्य इकाई के विभिन्न गुटों के लिए स्वीकार्य साबित होंगे। 2026 के विधानसभा चुनाव में पार्टी कैसा प्रदर्शन करती है। यह उनके नेतृत्व की असली परीक्षा होगी।
सामिक क्यों पड़े सब पर भारी?
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी हमेशा जमीनी स्तर के नेताओं को पसंद करती है। सामिक भट्टाचार्य खास तौर पर विधानसभा चुनावों से पहले एकदम सही विकल्प हैं। सभी जिला स्तर के नेता उन्हें वर्षों से जानते हैं और उनसे आसानी से बात कर सकते हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि सामिक भट्टाचार्य की छवि साफ-सुथरी रही है। राज्य और केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ कभी विद्रोह न करना, पार्टी के सभी गुटों के साथ अच्छे संबंध और आरएसएस से नजदीकी के कारण उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई। सामिक की एक खासियत है कि वह कभी भी नेताओं पर व्यक्तिगत हमले नहीं करते हैं। बीजेपी उनके नेतृत्व में 2026 का चुनाव एकजुट होकर लड़ेगी।
चार दशक की राजनीति का अनुभव
सामिक भट्टाचार्य 61 साल के हैं और उनके पास 4 दशकों से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव है। उन्होंने 1971 में हावड़ा में आरएसएस के साथ अपना करियर शुरू किया। बाद में वह बीजेपी में चले गए। 1990 के दशक में वे अपनी वाक्पटुता के कारण राज्य में पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरों में से एक बन गए। उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा के दक्षिण हावड़ा मंडल के महासचिव और हावड़ा जिले के महासचिव जैसे कई पदों पर काम किया। बाद में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का महासचिव बनाया गया। सामिक इस पोस्ट पर वे 11 साल तक रहे, फिर तीन बार बीजेपी के महासचिव बने। 2014 में उन्होंने बसीरहाट दक्षिण विधानसभा उपचुनाव जीता और एक साल से थोड़ा अधिक समय तक विधायक रहे। 2024 में उन्हें पहली बार राज्यसभा भेजा गया।
विरोधी भी सामिक के कायल
सामिक के भाषण के कायल विरोधी भी रहे हैं। सीपीएम के एक नेता ने बताया कि वे इतने अच्छे वक्ता हैं कि एक बार नेता प्रतिपक्ष रहे सुरज्या कांता मिश्रा ने उन्हें विधानसभा में अपने कोटे से समय दिया था। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें सिर्फ पांच मिनट दिया था। अपने भाषणों में सामिक अक्सर शंखा घोष और शक्ति चट्टोपाध्याय जैसे प्रतिष्ठित कवियों की कविता सुनाते हैं। 2017 में पश्चिम बंगाल सीआईडी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यान्वयन में कथित घोटाले की जांच के सिलसिले में भट्टाचार्य को तलब किया था।
सामिक क्यों पड़े सब पर भारी?
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी हमेशा जमीनी स्तर के नेताओं को पसंद करती है। सामिक भट्टाचार्य खास तौर पर विधानसभा चुनावों से पहले एकदम सही विकल्प हैं। सभी जिला स्तर के नेता उन्हें वर्षों से जानते हैं और उनसे आसानी से बात कर सकते हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि सामिक भट्टाचार्य की छवि साफ-सुथरी रही है। राज्य और केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ कभी विद्रोह न करना, पार्टी के सभी गुटों के साथ अच्छे संबंध और आरएसएस से नजदीकी के कारण उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई। सामिक की एक खासियत है कि वह कभी भी नेताओं पर व्यक्तिगत हमले नहीं करते हैं। बीजेपी उनके नेतृत्व में 2026 का चुनाव एकजुट होकर लड़ेगी।
चार दशक की राजनीति का अनुभव
सामिक भट्टाचार्य 61 साल के हैं और उनके पास 4 दशकों से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव है। उन्होंने 1971 में हावड़ा में आरएसएस के साथ अपना करियर शुरू किया। बाद में वह बीजेपी में चले गए। 1990 के दशक में वे अपनी वाक्पटुता के कारण राज्य में पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरों में से एक बन गए। उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा के दक्षिण हावड़ा मंडल के महासचिव और हावड़ा जिले के महासचिव जैसे कई पदों पर काम किया। बाद में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का महासचिव बनाया गया। सामिक इस पोस्ट पर वे 11 साल तक रहे, फिर तीन बार बीजेपी के महासचिव बने। 2014 में उन्होंने बसीरहाट दक्षिण विधानसभा उपचुनाव जीता और एक साल से थोड़ा अधिक समय तक विधायक रहे। 2024 में उन्हें पहली बार राज्यसभा भेजा गया।
विरोधी भी सामिक के कायल
सामिक के भाषण के कायल विरोधी भी रहे हैं। सीपीएम के एक नेता ने बताया कि वे इतने अच्छे वक्ता हैं कि एक बार नेता प्रतिपक्ष रहे सुरज्या कांता मिश्रा ने उन्हें विधानसभा में अपने कोटे से समय दिया था। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें सिर्फ पांच मिनट दिया था। अपने भाषणों में सामिक अक्सर शंखा घोष और शक्ति चट्टोपाध्याय जैसे प्रतिष्ठित कवियों की कविता सुनाते हैं। 2017 में पश्चिम बंगाल सीआईडी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यान्वयन में कथित घोटाले की जांच के सिलसिले में भट्टाचार्य को तलब किया था।
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