ग्वालियरः शहर में हर साल की तरह इस बार भी सिंधिया राजवंश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपरा का खास नजारा देखने को मिला। गोरखी के इमामबाड़े में रखे गए सिंधिया राजघराने के ताजिये पर 'मराहाज' ने पूरी श्रद्धा के साथ शिरकत की। पारंपरिक रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सेहराबंदी की रस्म अदा की। यह रस्म पूरी कर उन्होंने अपने पूर्वजों की परंपरा को जीवंत किया।
दरअसल, हर साल इस अवसर पर सिंधिया परिवार की तरफ से यह परंपरा निभाई जाती है। इसमें मुस्लिम समाज के साथ ग्वालियर के आम लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। ताजिये के दौरान विशेष धार्मिक आयोजन किए गए, और शांतिपूर्वक माहौल में पूरे कार्यक्रम का संचालन हुआ।
गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल
केंद्रीय मंत्री सिंधिया का इस रस्म में शामिल होना गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश करता है। यह ग्वालियर की सांस्कृतिक विविधता और सद्भावना का प्रतीक है। इस मौके पर स्थानीय मुस्लिम समाज ने उनका स्वागत किया। साथ ही कार्यक्रम की सफलता के लिए आभार जताया। सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रही।
सैकड़ों साल पुरानी है परंपरा
ताजिया कमेटी के उपाध्यक्ष बाल खांडे ने कहा जानकारी दी कि सिंधिया परिवार की यह परंपरा सैकड़ो वर्ष पुरानी है। उन्होंने बताया कि देश में शायद ही कोई राज परिवार होगा। जहां हिंदू और मुस्लिम जो अन्य त्योहारों को लगातार मनाता चला रहा है।इस परंपरा की शुरुआत माधवराव सिंधिया प्रथम ने पदमा विद्यालय के हॉल में की थी। हालांकि बीच में कुछ समय के लिए बाधित हो गई थी। बाद में माधवराव सिंधिया (द्वितीय) ने इसे फिर से शुरू किया। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आगे बढ़ा रहे हैं।
क्यों करता है सिंधिया परिवार तजिएदारी
खांडे ने बताया कि सिंधिया परिवार की गद्दी पर फकीरों की विशेष कृपा मानी जाती रही है। यही वजह है कि यह परिवार सभी धर्मों के प्रति अगाध श्रद्धा रखता है। यही कारण है कि आज भी फूलबाग, जो कभी जयविलास पैलेस का हिस्सा हुआ करता था, वहां मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च -चारों धर्मों के धार्मिक स्थल मौजूद हैं।
ग्वालियर को सौहार्द का संदेश
खांडे ने कहा कि जिस तरह आज पूरे देश में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जा रही है। उसी में मुस्लिम समाज के लोग भी भाग ले रहे हैं। यह वही वातावरण है जिसे ग्वालियर में सिंधिया परिवार ने वर्षों से संजोकर रखा है। उन्होंने कहा, 'हम सबकी कोशिश है कि ग्वालियर में यह भाईचारा और सौहार्द हमेशा बना रहे।'
दरअसल, हर साल इस अवसर पर सिंधिया परिवार की तरफ से यह परंपरा निभाई जाती है। इसमें मुस्लिम समाज के साथ ग्वालियर के आम लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। ताजिये के दौरान विशेष धार्मिक आयोजन किए गए, और शांतिपूर्वक माहौल में पूरे कार्यक्रम का संचालन हुआ।
गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल
केंद्रीय मंत्री सिंधिया का इस रस्म में शामिल होना गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश करता है। यह ग्वालियर की सांस्कृतिक विविधता और सद्भावना का प्रतीक है। इस मौके पर स्थानीय मुस्लिम समाज ने उनका स्वागत किया। साथ ही कार्यक्रम की सफलता के लिए आभार जताया। सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रही।
सैकड़ों साल पुरानी है परंपरा
ताजिया कमेटी के उपाध्यक्ष बाल खांडे ने कहा जानकारी दी कि सिंधिया परिवार की यह परंपरा सैकड़ो वर्ष पुरानी है। उन्होंने बताया कि देश में शायद ही कोई राज परिवार होगा। जहां हिंदू और मुस्लिम जो अन्य त्योहारों को लगातार मनाता चला रहा है।इस परंपरा की शुरुआत माधवराव सिंधिया प्रथम ने पदमा विद्यालय के हॉल में की थी। हालांकि बीच में कुछ समय के लिए बाधित हो गई थी। बाद में माधवराव सिंधिया (द्वितीय) ने इसे फिर से शुरू किया। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आगे बढ़ा रहे हैं।
क्यों करता है सिंधिया परिवार तजिएदारी
खांडे ने बताया कि सिंधिया परिवार की गद्दी पर फकीरों की विशेष कृपा मानी जाती रही है। यही वजह है कि यह परिवार सभी धर्मों के प्रति अगाध श्रद्धा रखता है। यही कारण है कि आज भी फूलबाग, जो कभी जयविलास पैलेस का हिस्सा हुआ करता था, वहां मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च -चारों धर्मों के धार्मिक स्थल मौजूद हैं।
ग्वालियर को सौहार्द का संदेश
खांडे ने कहा कि जिस तरह आज पूरे देश में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जा रही है। उसी में मुस्लिम समाज के लोग भी भाग ले रहे हैं। यह वही वातावरण है जिसे ग्वालियर में सिंधिया परिवार ने वर्षों से संजोकर रखा है। उन्होंने कहा, 'हम सबकी कोशिश है कि ग्वालियर में यह भाईचारा और सौहार्द हमेशा बना रहे।'
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