रश्मि खत्री, देहरादून: कैलाश मानसरोवर यात्रा 5 साल के लंबे इंतजार के बाद आगामी 30 जून से शुरू होने जा रही है। विगत पांच वर्षों में कोरोना महामारी और गलवान में चीन के साथ हुए विवाद के चलते यह महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा स्थगित थी। अब 5 साल बाद यह यात्रा शुरू होने जा रही है जिसको लेकर तीर्थयात्रियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। इस वर्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा में ढाई सौ यात्री शामिल होंगे। जिनमें से 50- 50 तीर्थ यात्रियों के पांच दल बनाए गए हैं। पिथौरागढ़ के लिपुलेख पास मार्ग से संचालित होने वाली इस यात्रा का संचालन कुमाऊँ मंडल विकास निगम करेगा। वर्ष 2019 के बाद अब 2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा होने जा रही है। 30 जून से 25 अगस्त तक यह यात्रा चलेगी। हालांकि इस दौरान पहाड़ों में बरसात आसमानी आफत भी बरसाती है। जिसके चलते यात्रा को निर्बाध पूरा करवाने के लिए टनकपुर पिथौरागढ़ हाईवे पर ध्यान दिया जा रहा है।30 जून से शुरू होने जा रही मानसरोवर यात्रा के लिए ढाई सौ यात्रियों को दर्शन करने का मौका मिलेगा। इन यात्रियों का चयन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत किया जाता है। मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण किया जाता है। यह पंजीकरण मार्च से अप्रैल महीने तक होता है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया के तहत पासपोर्ट और फिटनेस प्रमाण पत्र जरूरी होते हैं।इस बार कैलाश मानसरोवर की यात्रा उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथुला दर्रे से होगी। उत्तराखंड से यात्रा शुरू करने वाले यात्री लिपुलेख दर्रे से रवाना होंगे, यहां से कैलाश मानसरोवर की दूरी लगभग 5000 किलोमीटर है और यात्रा करने में लगभग 24-25 दिन का समय लग सकता है।कैलाश मानसरोवर की यात्रा बेहद कठिन मानी जाती है क्योंकि इस यात्रा के दौरान ट्रैकिंग करनी होती है। जिसके चलते यात्रियों के अच्छे स्वास्थ्य और स्टेमिना की जरूरत होती है। यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को दिल्ली और गुंजी में आईटीबीपी के कैंप में मेडिकल जांच करवानी होती है। पांच साल बाद एक बार फिर से शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे से सफर तय करेंगे। पूर्व में इस हाइवे में 56 डेंजर जोन चिन्हित किए गए थे। जिनके ट्रीटमेंट का काम लगभग 90 प्रतिशत पूरा किया जा चुका है। जून के अंतिम सप्ताह में शुरू हो रही यह यात्रा जुलाई से अगस्त माह तक चलेगी।इस दौरान बरसात होती है और बरसात में इस हाइवे पर सफर करना मुश्किल भरा भी हो सकता है। इस बार यात्रा में काफी बदलाव हो रहा है और यह पहली बार है कि कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालु टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे की से अपना सफर तय करेंगे।हालांकि इस हाईवे के ऑल वेदर में तब्दील होने के बाद सफर तो आसान हो गया लेकिन रोड बनने के बाद यहां कई डेंजर जोन तैयार हो गए। जो बरसात में कभी भी वाहनों की रफ्तार को थाम सकते हैं। यहां डेढ़ सौ किलोमीटर के हाईवे में 56 डेंजर जोन चिन्हित किए गए थे। इनके ट्रीटमेंट का काम चल रहा है। लगभग 10 फीसदी बचे ट्रीटमेंट के काम में यात्रा को देखते हुए तेजी लाई जा रही है। वहीं 48 नए डेंजर जोन भी चिन्हित किए गए हैं, जिनके ट्रीटमेंट के लिए मंत्रालय से मांग की गई है। पिछले साल के बरसात के सीजन में यह हाईवे 70 फ़ीसदी मौके पर बंद रहा। हालांकि इस बार यात्रा को देखते हुए सभी जरूरी कदम उठाए जाने का दावा भी किया जा रहा है। यह हाईवे जितना यात्रा के लिए जरूरी है उतना ही दो जिलों की लाइफ लाइन भी है।कैलाश मानसरोवर यात्रा पर इस बार महंगाई की मार भी पड़ी है। श्रद्धालुओं को कुमाऊं मंडल विकास निगम को 35,000 की जगह 56,000 चुकाने होंगे। इस धनराशि में यात्रियों के आने-जाने, ठहरने और भोजन आदि का प्रबंध शामिल होगा। जबकि यात्रियों को मेडिकल जांच, चीन का वीजा, कुली, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और चीन सीमा में अलग से खर्च करना होगा। मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों का पहला जत्था दिल्ली से 30 जून को रवाना होगा। जबकि दूसरा जत्था 4 जुलाई, तीसरा 8 जुलाई, चौथा 31 जुलाई और अंतिम जत्था दिल्ली से 4 अगस्त को रवाना होगा।यात्रा का पहला पड़ाव टनकपुर होगा। यहां से रात्रि विश्राम के बाद यात्री धारचूला जाएंगे। जहां 2 दिन रुकेंगे। इसके बाद अगले पड़ाव नाभीढांग में श्रद्धालु 2 दिन का विश्राम करेंगे। यहां से लिपुलेख दर्रे से श्रद्धालु तकलाकोट जाएंगे। कुमाऊं मंडल विकास निगम अनुसार कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को केएमवीएन को इस बार 56000 रूपये देने होंगे। इसके अलावा विदेश मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार यात्री अन्य खर्च खुद वहन करेंगे।
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