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Karwa Chauth पर पति-पत्नी करें राजस्थान के चौथ मंदिर के दर्शन, जिंदगीभर साथ रहने का मिलेगा आशीर्वाद

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करवा चौथ इस साल 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस मौके पर सुहागिन अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और चौथ माता की पूजा करती हैं। वैसे तो करवा चौथ की पूजा घर पर ही चौक बनाकर होती है, लेकिन इस मौके पर आप देश की सबसे पुरानी और बड़ी चौथ माता के मंदिर जा सकते हैं। बता दें, ये मंदिर देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में शामिल है, जहां करवा चौथ के मौके पर दो से तीन लाख महिलाएं पूजा करती हैं। करवा चौथ पर आप भी चौथ माता मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। चलिए जानते हैं, कहां है चौथ माता का मंदिर, क्या है इसको लेकर मान्यताएं और इतिहास।
क्या है मंदिर का इतिहास image

चौथ माता का मंदिर जिसकी स्थापना राजा भीम सिंह ने कराई थी, कहते हैं देवी चारू माता ने सपने में राजा भीमसिंह चौहान को दर्शन देकर मंदिर बनाने का आदेश दिया था। राजा जब शिकार पर गए थे, तब उन्हें चौथ माता की प्रतिमा मिली थी, जिसे लेकर वे बरवाड़ा वापस आ गए और पुरोहितों की सलाह से बरवाड़ा की पहाड़ की चोटी पर माघ कृष्ण चतुर्थी को प्रतिमा की स्थापना की। हर साल इस मंदिर में चौथ माता का मेला लगाया जाता है। (फोटो साभार: wikimedia commons)

(नीचे सभी सांकेतिक फोटो)


चढ़नी पड़ती हैं 700 सीढ़ियां image

1463 में मंदिर मार्ग पर बिजल की छतरी और तालाब का निर्माण हुआ था। इस मंदिर में दर्शन के लिए राजस्थान से ही नहीं दूसरे राज्यों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। नवरात्रि के दौरान तो यहां धार्मिक आयोजन का खास महत्व है। करीबन एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजित चौथ माता मंदिर, हजारों भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।


सुहागिन सौभाग्य का लेती हैं वरदान image

कहते हैं मंदिर में शादीशुदा जोड़ों पर खास कृपा रहती है। यहां करवा चौथ के मौके पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। चौथ माता देवी गौरी का ही रूप हैं। माता गौरी की पूजा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।


कैसे जा सकते हैं चौथ माता मंदिर image

मंदिर में सालों से अखंड ज्योति जल रही है। ये राजस्थान के 11 प्रसिद्ध मंदिर में शामिल है। यहां पहुंचने के लिए सवाई माधोपुर शहर से 35 किमी दूर बरवाड़ा नाम के गांव जाना होगा, यहां जाने के लिए आपको प्राइवेट गाड़ी, बस या टैक्सी की सुविधा मिलती है। मंदिर परिसर तक जाने के लिए करीबन 700 सीढ़ियां चढ़नी होगी।

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