कौन हैं करनी माता जिन्हें पूजा जाता है
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, करणी माता को देवी दुर्गा का अवतार मानते हैं, वो एक लोकप्रिय महिला संत थीं जिन्होंने 14वीं शताब्दी में इस जगह पर अपना जीवन बिताया था। वे अपनी दिव्य शक्तियों और चमत्कारिक चीजों के फेमस थीं। कहते हैं, उन्होंने कई साल तक तपस्या और सेवा का जीवन भी जिया।
यहां के लोगों के मुताबिक, करनी माता के वंशज ही मृत्यु के बाद चूहों का रूप लेते हैं और मंदिर में माता के साथ निवास करते हैं। उनके निधन के बाद भक्तों ने उनकी मूर्ती स्थापित की और वहां मंदिर बनवा दिया। आज देशभर के लोग यहां माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
हजारों की संख्या में रहते हैं यहां चूहे

ये मंदिर दुनिया में अपने में ही काफी अनोखा है, यहां हजारों की संख्या में चूहे रहते हैं और लोग इन्हें प्रसाद भी खिलाते हैं, पूजा भी करते हैं। माना जाता है, चूहे करनी माता के सौतेले बेटे और उनके वंशज का पुनर्जन्म हैं। इन्हें यहां ‘’काबा’’ भी कहते हैं और इन्हें यहां कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता। मंदिर में अगर कोई सफेद चूहा दिख जाता है, उसे बेहद शुभ मानते हैं और कहते हैं माता उन्हें खास आशीर्वाद देती हैं।
चूहा का झूठा प्रसाद मिलता है यहां
मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, चूहे यहां किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। यहां तक कि अगर कोई बीमार भी आता है, तो कहते हैं उसे चूहों का छुआ पानी पिलाया जाता है। उनका मानना है, ये चूहे कोई सामान्य चूहे नहीं हैं, बल्कि देवी का आशीर्वाद हैं। मंदिर में चूहों की संख्या हजारों में है, लेकिन कोई आंकड़ा भी नहीं है। मंदिर में देवी को चढ़ाया जाने वाला भोजन चूहों को खिलाते हैं और फिर उसी झूठे प्रसाद को भक्तों में बांट दिया जाता है। भक्त इस प्रसाद का सेवन बड़े ही भक्ति भाव से करते हैं।
करनी माता मंदिर का क्या है इतिहास
करनी माता मंदिर के इतिहास को लेकर कोई सटीक प्रमाण नहीं है, कई कहानियां मंदिर को लेकर कहीं जाती हैं। जिसमें से एक है इसे राजा जय सिंह ने बनवाया था, वहीं, मंदिर का अभी जो रूप है, उसे बनाने का श्रेय महाराजा गंगा सिंह को जाता है। जिन्होंने मंदिर का निर्माण राजपूत शैली में लगभग 15 से 20वीं सदी में करवाया था। मंदिर में संगमरमर की नक्काशी देखी जा सकती है और यहां चांदी के दरवाजे भी लगाए गए हैं। ऐसा लोगों द्वारा बताया जाता है कि 1595 की चैत्र शुक्ल नवमी गुरुवार को करणी माता यहां ज्योर्तिलीन हुई थीं। तभी से यहां करनी माता की पूजा की जा रही है।
मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय

साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि के समय आप यहां आ सकते हैं। तब भारी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। बता दें, श्रद्धालुओं के रुकने के लिए मंदिर के पास कई धर्मशालाएं भी हैं।
कैसे पहुंच सकते हैं करनी माता मंदिर
मंदिर तक जाने के लिए बीकानेर से बस, जीप और टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं। बीकानेर-जोधपुर रेल मार्ग पर मौजूद देशनोक रेलवे स्टेशन मंदिर के पास ही पड़ता है, आप यहां से टैक्सी वगैराह लेकर आ सकते हैं।
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