तेहरान: ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने कहा है कि इजरायल के हमलों का उद्देश्य उनके देश में अस्थिरता फैलाना था। इसके लिए एक पूरे प्लान के तहत बमबारी और लक्षित हत्याएं की गई लेकिन ईरान ने इसका डटकर सामना किया। खामेनेई ने अपने बयान में कड़ी भाषा का इस्तेमाल करते हुए इजरायल को अमेरिका का कुत्ता कहकर संबोधित किया है। खामेनेई ने कहा कि अमेरिका और उसके 'पट्टे से बंधे कुत्ते इजरायल' से लड़ना ईरान के लिए प्रशंसनीय बात है।
अयातुल्लाह अली खामेनेई ने बुधवार को अपने बयान में कहा कि पिछले महीने हुए 12 दिन के युद्ध के दौरान इजरायल के हमलों का उद्देश्य तेहरान को कमजोर करना और सरकार बदलने के लिए अशांति भड़काना था। इजरायल की योजना ईरान में कुछ खास लोगों और संवेदनशील केंद्रों को निशाना बनाकर व्यवस्था को कमजोर करना था। खामेनेई ने ये भी कहा कि ईरानी कूटनीति और सेना को आगे बढ़ने में सावधानी और सटीकता बरतनी होगी।
सत्ता बदलना चाहता था इजरायलखामेनेई ने आगे कहा, 'इजरायल के हमलों का उद्देश्य अशांति फैलाना और लोगों को सड़कों पर लाकर सत्ता को उखाड़ फेंकना था। ऐसा नहीं हुआ क्योंकि ईरानी लोगों और सेना ने उनकी योजना को ध्वस्त कर दिया। ऐसे हमलावरों को शायद पूरी तरह से खत्म होने से पहले अपना रुख बदलना होगा।' खामेनेई की टिप्पणी ईरान की अमेरिका और इजरायल के साथ बढ़ते तनाव को दिखाती है।
ईरान की इजरायल और अमेरिका से बीते महीने भीषण लड़ाई देखने को मिली थी। इसकी शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इजरायल ने ईरान पर हमला करते हुए उसके कई शीर्ष सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला था। इसके बाद ईरान ने भी इजरायल भीषण मिसाइल हमले किए। ये लड़ाई 12 दिन तक चली। इस दौरान अमेरिका ने भी ईरान पर हमले किए और ईरान ने अमेरिकी सैन्य अड्डों को निशाना बनाया।
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परमाणु वार्ता भी रुकी12 दिन के इस युद्ध की वजह से ईरान और अमेरिका के बीच 12 अप्रैल को शुरू हुई छठे दौर की परमाणु वार्ता रुक गई है। इसे फिर से शुरू करने पर तेहरान ने दोहराया है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, बशर्ते अमेरिका की ओर से यह गारंटी दी जाए कि तेहरान पर आगे इस तरह के सैन्य हमले नहीं होंगे। दूसरी ओर बुधवार को ईरान की संसद ने बिना शर्तों के अमेरिका से किसी बातचीत की संभावना को खारिज किया है।
अयातुल्लाह अली खामेनेई ने बुधवार को अपने बयान में कहा कि पिछले महीने हुए 12 दिन के युद्ध के दौरान इजरायल के हमलों का उद्देश्य तेहरान को कमजोर करना और सरकार बदलने के लिए अशांति भड़काना था। इजरायल की योजना ईरान में कुछ खास लोगों और संवेदनशील केंद्रों को निशाना बनाकर व्यवस्था को कमजोर करना था। खामेनेई ने ये भी कहा कि ईरानी कूटनीति और सेना को आगे बढ़ने में सावधानी और सटीकता बरतनी होगी।
सत्ता बदलना चाहता था इजरायलखामेनेई ने आगे कहा, 'इजरायल के हमलों का उद्देश्य अशांति फैलाना और लोगों को सड़कों पर लाकर सत्ता को उखाड़ फेंकना था। ऐसा नहीं हुआ क्योंकि ईरानी लोगों और सेना ने उनकी योजना को ध्वस्त कर दिया। ऐसे हमलावरों को शायद पूरी तरह से खत्म होने से पहले अपना रुख बदलना होगा।' खामेनेई की टिप्पणी ईरान की अमेरिका और इजरायल के साथ बढ़ते तनाव को दिखाती है।
ईरान की इजरायल और अमेरिका से बीते महीने भीषण लड़ाई देखने को मिली थी। इसकी शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इजरायल ने ईरान पर हमला करते हुए उसके कई शीर्ष सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों को मार डाला था। इसके बाद ईरान ने भी इजरायल भीषण मिसाइल हमले किए। ये लड़ाई 12 दिन तक चली। इस दौरान अमेरिका ने भी ईरान पर हमले किए और ईरान ने अमेरिकी सैन्य अड्डों को निशाना बनाया।
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