जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए भीषण आतंकी हमले के मास्टरमाइंड की पहचान हो गई है। खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर और हाफिज सईद के करीबी सैफुल्लाह कसूरी का हाथ है। कसूरी को पाकिस्तान की सेना और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई का संरक्षण प्राप्त है।
कौन है सैफुल्लाह कसूरी?सैफुल्लाह साजिद जट्ट उर्फ सैफुल्लाह कसूरी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शांगमंगा गांव का रहने वाला है। भारतीय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उसे पहले ही “कट्टर आतंकवादी” घोषित किया है। फिलहाल वह लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ है और इस्लामाबाद में रहकर आतंकी गतिविधियों को संचालित करता है। कसूरी अपनी आतंकी पहचान को छिपाने के लिए अक्सर धार्मिक और सामाजिक कार्यों की आड़ लेता है।
पहलगाम हमले की साजिशखुफिया सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम हमला पूरी तरह से योजनाबद्ध था। हमलावरों ने कई दिनों पहले से ही घटनास्थल की रेकी कर ली थी। कसूरी जम्मू-कश्मीर में लश्कर और टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) की आतंकी गतिविधियों का प्रमुख योजनाकार है। फिलहाल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के दो आतंकी भी जांच के घेरे में हैं।
कसूरी का आतंकवाद में इतिहाससैफुल्लाह कसूरी 2000 के दशक की शुरुआत में लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था और उसकी ट्रेनिंग पाकिस्तान में हुई। उसे आतंकी गतिविधियों का लंबा अनुभव है। कसूरी का सीधा संपर्क हाफिज सईद से रहा है, जिससे उसका प्रभाव काफी बढ़ा। वह भारत के पुंछ-राजौरी सेक्टर और पीओके में सक्रिय रहा है।
आतंकी संगठन अपनी पहचान छिपाने के लिए टीआरएफ (TRF) और पीएएफएफ (PAFF) जैसे नए संगठनों के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि पाकिस्तान पर सीधे आरोप न लगे।
हमले के बाद सर्च ऑपरेशन तेजमंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बाइसरण घाटी में हुए इस हमले में कम से कम 26 पर्यटकों की मौत हो गई, जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह हमला पिछले कई वर्षों में घाटी में हुए सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक है। सेना और सुरक्षा बल फिलहाल आतंकियों की धरपकड़ के लिए व्यापक तलाशी अभियान चला रहे हैं।
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