News India Live, Digital Desk: Vastu secrets of wealth and prosperity : भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर दिशा का अपना एक विशेष महत्व होता है और सही दिशा में सही चीज़ें रखने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। घर की सबसे महत्वपूर्ण दिशाओं में से एक है ‘नैऋत्य कोण’, जिसे दक्षिण-पश्चिम दिशा भी कहते हैं। यह दिशा स्थिरता, संबंध और धन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका स्वामी ग्रह ‘राहु’ है और तत्व ‘पृथ्वी’ है। आइए, जानते हैं कि वास्तु के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा में क्या रखना शुभ है और क्या नहीं, ताकि आपके घर में धन और खुशियों का वास हो।
दक्षिण-पश्चिम दिशा का महत्व:
नैऋत्य कोण को स्थायित्व, रिश्तों में सामंजस्य और धन-संपत्ति के आगमन की दिशा माना जाता है। इस दिशा को मजबूत और सकारात्मक रखने से परिवार में प्रेम बना रहता है, अनावश्यक खर्चे रुकते हैं और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा में क्या रखें/करें? (Dos)
मास्टर बेडरूम (Master Bedroom): पति-पत्नी के लिए यह दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है। यहाँ बना मास्टर बेडरूम संबंधों में मधुरता, स्थिरता और गहरी नींद प्रदान करता है।
धन की तिजोरी/अलमारी: धन और आभूषण रखने वाली तिजोरी या अलमारी को दक्षिण-पश्चिम दिशा में इस तरह रखें कि उसका दरवाजा उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में खुले। इससे धन में वृद्धि होती है और वह स्थिर रहता है।
भारी सामान और फर्नीचर: घर का भारी फर्नीचर, स्टोर रूम का भारी सामान या अन्य कोई भी भारी वस्तु इस दिशा में रखना बहुत शुभ माना जाता है। यह स्थिरता को बढ़ावा देता है।
लाल और पीला रंग: इस दिशा की दीवारों पर लाल या पीला रंग करना लाभकारी होता है, क्योंकि ये रंग स्थिरता और समृद्धि को आकर्षित करते हैं।
बोनस टिप: घर का जो भी बेकार या भारी सामान हो, उसे इसी दिशा में रखें। यह भी इस दिशा को बल देता है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा में क्या न रखें/करें? (Don’ts)
इस दिशा में कुछ चीज़ें रखने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मकता आती है और घर में परेशानियां बढ़ सकती हैं:
रसोई (Kitchen): दक्षिण-पश्चिम दिशा में रसोईघर का होना स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और घर में कलह का कारण बन सकता है।
शौचालय (Toilet): इस दिशा में शौचालय का होना भी बेहद अशुभ माना जाता है। यह स्वास्थ्य और धन दोनों के लिए हानिकारक होता है।
बच्चों का कमरा (Kids’ Room): बच्चों का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होने से वे जिद्दी हो सकते हैं और उनकी एकाग्रता पर असर पड़ सकता है।
मंदिर या पूजा स्थल (Temple): देवी-देवताओं का वास उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में माना जाता है। दक्षिण-पश्चिम में मंदिर रखने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता और घर में अशांति हो सकती है।
मुख्य द्वार (Main Entrance): इस दिशा में मुख्य द्वार होने से घर में स्थिरता की कमी आती है और अक्सर घर के सदस्य बाहर ज़्यादा रहते हैं। यह अनावश्यक खर्चों को भी बढ़ावा देता है।
पानी का स्रोत: इस दिशा में भूमिगत जल स्रोत जैसे अंडरग्राउंड वॉटर टैंक, बोरिंग या फाउंटेन जैसी चीज़ें रखना अत्यधिक अशुभ होता है। पानी का संबंध प्रवाह से है, जो स्थिरता वाली इस दिशा के अनुकूल नहीं है और धन के टिकने में समस्या पैदा कर सकता है। अगर घर के बाहर फाउंटेन हो, तो उसकी दिशा नैऋत्य कोण की तरफ नहीं होनी चाहिए।
वास्तु शास्त्र के इन नियमों का पालन करने से आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और सुख-समृद्धि बनी रहेगी। यदि आपके घर में इनमें से कोई दोष है, तो किसी वास्तु विशेषज्ञ की सलाह से उसका उचित निवारण करवाना बेहद महत्वपूर्ण है।
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