परिवार में एक नन्हे मेहमान का आना ढेरों खुशियां लेकर आता है, लेकिन इसके साथ ही आती हैं कई नई जिम्मेदारियां, खासकर आर्थिक जिम्मेदारियां। भारत में बच्चे के जन्म से लेकर उसके बड़े होने तक का खर्च लाखों से करोड़ों तक पहुंच सकता है। इसलिए, अगर आप नए माता-पिता बनने वाले हैं, तो एक अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग करना बेहद ज़रूरी है। आइए, जानते हैं कि बच्चे के आगमन के लिए आपको किन-किन खर्चों का ध्यान रखना चाहिए और कैसे आप इसके लिए तैयार हो सकते हैं।
शुरुआती खर्च (जन्म और पहले कुछ साल):
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अस्पताल का खर्च: डिलीवरी का खर्च (नॉर्मल या सिजेरियन), डॉक्टर की फीस, कमरे का किराया और बच्चे के शुरुआती चेक-अप। यह शहरों और अस्पताल के प्रकार के हिसाब से ₹50,000 से लेकर ₹5 लाख या उससे भी ज़्यादा हो सकता है।
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बच्चे का सामान: डायपर, कपड़े, दूध पिलाने की बोतलें, स्ट्रोलर, पालना, खिलौने आदि। ये भी आपकी पसंद और ब्रांड पर निर्भर करते हैं।
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टीकाकरण (Vaccination): बच्चे के शुरुआती सालों में कई ज़रूरी टीके लगते हैं, जिनका खर्च भी ध्यान में रखना होता है।
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दाई या क्रेच का खर्च: अगर दोनों माता-पिता कामकाजी हैं, तो बच्चे की देखभाल के लिए दाई या क्रेच का खर्च भी जोड़ना होगा।
लंबे समय के खर्च (शिक्षा और भविष्य):
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स्कूल की फीस: अच्छे स्कूल में बच्चे की पढ़ाई का खर्च सालाना लाखों में हो सकता है।
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उच्च शिक्षा (Higher Education): कॉलेज या प्रोफेशनल कोर्स की फीस, खासकर अगर बच्चा विदेश में पढ़ना चाहे, तो यह करोड़ों तक पहुंच सकती है।
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अन्य गतिविधियां: ट्यूशन, हॉबी क्लास, खेलकूद, यात्राएं आदि।
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शादी (अगर आप योजना बनाते हैं): यह भी एक बड़ा खर्च हो सकता है।
फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करें?
इमरजेंसी फंड: सबसे पहले एक इमरजेंसी फंड बनाएं जो कम से
कम 6 महीने के आपके घरेलू खर्चों को कवर कर सके। बच्चे के आने के बाद अप्रत्याशित खर्च आ सकते हैं।
स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance): सुनिश्चित करें कि आपके पास एक अच्छा फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान हो, जिसमें मैटरनिटी कवर और नवजात शिशु का कवर शामिल हो।
जीवन बीमा (Life Insurance): टर्म इंश्योरेंस लेना बहुत ज़रूरी है, ताकि अगर आपको कुछ हो जाए तो भी आपके बच्चे का भविष्य सुरक्षित रहे।
बचत और निवेश: बच्चे के भविष्य के लिए जल्द से जल्द बचत और निवेश शुरू करें। आप इक्विटी म्यूचुअल फंड (SIP), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), सुकन्या समृद्धि योजना (बेटी के लिए) जैसे विकल्पों में निवेश कर सकते हैं।
लक्ष्य-आधारित निवेश: बच्चे की शिक्षा, उच्च शिक्षा जैसे बड़े लक्ष्यों के लिए अलग से निवेश योजना बनाएं।
वसीयत (Will): एक वसीयत बनाना भी समझदारी है, ताकि आपकी संपत्ति आपके प्रियजनों को बिना किसी परेशानी के मिल सके।
खर्चों का बजट: बच्चे से जुड़े सभी संभावित खर्चों का अनुमान लगाकर एक बजट बनाएं और उस पर अमल करने की कोशिश करें।
बच्चे का पालन-पोषण एक लंबी और सुखद यात्रा है। थोड़ी सी फाइनेंशियल प्लानिंग और अनुशासन से आप इस यात्रा को और भी सुखद और चिंता मुक्त बना सकते हैं। शुरुआती अनुमानों के अनुसार, एक बच्चे के 21 साल की उम्र तक के बुनियादी खर्च ₹1 लाख प्रति वर्ष से शुरू होकर आपके जीवनशैली के आधार पर कई गुना तक बढ़ सकते हैं, जो कुल मिलाकर ₹1 करोड़ या उससे अधिक तक जा सकता है, खासकर अगर उच्च शिक्षा और शादी जैसे बड़े खर्च शामिल हों।
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