जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के हीरानगर क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिलने पर सुरक्षा बलों ने एक बड़ा तलाशी अभियान आरंभ किया है। यह कार्रवाई तब शुरू हुई जब एक स्थानीय निवासी ने तीन संदिग्ध व्यक्तियों को वन क्षेत्र के निकट घूमते हुए देखा। नागरिक की सतर्कता के चलते पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की एक संयुक्त टीम ने इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू किया है।
राजमार्गों और सीमाओं पर बढ़ी सुरक्षा राजमार्गों और सीमावर्ती क्षेत्रों पर बढ़ाई गई निगरानी
सुरक्षा बलों ने स्थानीय क्षेत्र, जंगलों और आसपास के राजमार्गों पर निगरानी को और कड़ा कर दिया है। संदिग्धों की पहचान और उनकी मंशा अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है, लेकिन इस तरह की गतिविधियों से सीमा पार से घुसपैठ की आशंका बढ़ जाती है। कठुआ, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित है, पहले भी आतंकवादियों के घुसपैठ के मार्ग के रूप में जाना जाता रहा है।
सरकार की शांति बहाली की कोशिशें घाटी में भय खत्म करने की सरकार की कोशिश
इस बीच, जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में प्रशासन भय के माहौल को कम करने के प्रयास कर रहा है। हाल ही में, मंत्रिपरिषद की बैठक बारामुल्ला के एक रिसॉर्ट में आयोजित की गई, जिससे यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि घाटी में सामान्य स्थिति लौट रही है और यह पर्यटकों के लिए सुरक्षित है। यह बैठक दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक के अगले दिन आयोजित की गई थी।
पहलगाम में पर्यटकों पर हमला पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ था भयावह हमला
इन प्रयासों के बीच, 22 अप्रैल को एक दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में, आतंकवादियों ने छुट्टियां मना रहे निर्दोष पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें एक नेपाली नागरिक और एक स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम घुड़सवार शामिल थे। बाकी सभी भारतीय नागरिक हिंदू समुदाय से थे।
घटना के गवाहों के अनुसार, आतंकवादियों ने पुरुषों को अलग किया, उनसे उनके धर्म के बारे में सवाल पूछे, और बेहद करीब से गोली मारी। यह हमला नफरत और डर फैलाने की एक सुनियोजित साजिश के रूप में देखा जा रहा है।
शांति की राह में चुनौतियाँ घाटी में शांति की राह में चुनौती
जहां एक ओर सरकार कश्मीर में पर्यटन और सामान्य जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं शांति की राह में बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही हैं। कठुआ में संदिग्धों की मौजूदगी और पहलगाम जैसा भयावह हमला यह दर्शाता है कि आतंकवाद की जड़ें अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई हैं।
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