मध्य-पूर्व में तनाव लगातार गहराता जा रहा है। एक ओर इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर एक के बाद एक हमले तेज कर दिए हैं, वहीं दूसरी ओर ईरान ने परमाणु मुद्दे पर अमेरिका से बातचीत करने से साफ इनकार कर दिया है। ईरान का कहना है कि जब तक इजरायली हमले नहीं रुकते, तब तक कोई वार्ता संभव नहीं है। इस स्थिति में पश्चिम एशिया किसी बड़े संघर्ष की ओर बढ़ता दिख रहा है।
ईरान की दो टूक: अब वार्ता नहींईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने जिनेवा में यूरोपीय नेताओं के साथ हुई बातचीत में यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार अमेरिका के साथ किसी भी परमाणु वार्ता को आगे नहीं बढ़ाएगी, जब तक इजरायल के हमले जारी हैं। फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों की कोशिश है कि ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत शुरू हो सके, लेकिन ईरान का रुख अब और सख्त हो गया है।
इजरायल के हमले और ईरानी जवाबइजरायल ने शुक्रवार को तेहरान, सैन्य ठिकानों, मिसाइल निर्माण कारखानों, शोध संस्थानों और परमाणु प्रतिष्ठानों पर जोरदार हमले किए। रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य तेहरान में एक रिहायशी इमारत भी इस हमले की चपेट में आई।
वहीं ईरान ने जवाबी कार्रवाई में बीरशेबा और हाइफा पर फिर से मिसाइलें दागीं। बीरशेबा में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के बाहर हुए हमले में 6 लोग घायल हुए, जबकि हाइफा पर हमले में 17 लोग जख्मी हुए हैं।
इजरायल का दावा: अकेले निपटने में सक्षम हैंइजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उनकी सेना बिना किसी बाहरी समर्थन के ईरान से निपटने की पूरी क्षमता रखती है। उन्होंने अमेरिका के रुख को देखते हुए यह बयान दिया, क्योंकि व्हाइट हाउस ने फिलहाल किसी सैन्य हस्तक्षेप पर निर्णय नहीं लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो सप्ताह बाद स्थिति की समीक्षा कर निर्णय लेने की बात कही है।
ईरान-इजरायल के परमाणु विवाद की जड़ेंइजरायल का आरोप है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार बना रहा है, जिससे उसे बड़ा खतरा है। दूसरी ओर, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
ईरान और अमेरिका के बीच 2015 में हुआ परमाणु समझौता (JCPOA) 2018 में अमेरिका द्वारा तोड़ दिया गया था, जिसके बाद से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। हालांकि यूरोपीय देश इस समझौते को फिर से बहाल करने के प्रयास में लगे हुए हैं।
इजरायल का पक्ष: यह आत्मरक्षा हैइजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने कहा है कि उनका देश किसी पर हमले की नीति नहीं अपनाता, लेकिन वह अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि
"ईरान की आक्रामक नीति और कट्टरपंथी सोच दुनिया के लिए बड़ा खतरा है।"
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इजरायल की कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत है और उनके पास इसके पुख्ता सबूत हैं कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजरायल के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।
तनाव का बढ़ता दायरा13 जून को इजरायल द्वारा शुरू किए गए हवाई हमलों के बाद से स्थिति लगातार विस्फोटक होती जा रही है। दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष सैन्य झड़पें अब लगभग हर दिन हो रही हैं। अमेरिका, हालांकि सीधे युद्ध में नहीं उतरा है, लेकिन वह बैकडोर कूटनीति के जरिए ईरान को समझाने की कोशिश में जुटा है।
ईरान और इजरायल के बीच यह संघर्ष केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रह गया है, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया, खासकर पश्चिम एशिया की स्थिरता पर पड़ रहा है। जहां एक ओर ईरान किसी भी शर्त पर वार्ता को तैयार नहीं है, वहीं इजरायल किसी भी खतरे को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर कायम है। आने वाले दिनों में यह टकराव और बड़ा रूप ले सकता है।
Disclaimer: यह समाचार सार्वजनिक स्रोतों और एजेंसी रिपोर्ट्स पर आधारित है। विषय की गंभीरता को देखते हुए किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आधिकारिक पुष्टि आवश्यक है।
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