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Pratapgarh Uttrapradesh मेडिकल कॉलेज में शुरू हो गई आरसीटी, दांतों की फिलिंग

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उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   खाना चबाने व पचाने की प्रक्रिया में प्राकृतिक दांतों जैसा रिस्पांस कोई भी आर्टिफिशिएल दांत नहीं दे सकता. इसीलिए डॉक्टर दांत को उखाड़ने की बजाय आरसीटी (रूट कैनाल थेरेपी) विधि से इलाज कर बचाने की सलाह देते हैं. किंतु मेडिकल कॉलेज सहित जिले के छापी. इसमें बताया कि यदि मेडिकल कॉलेज आरसीटी शुरू कर दे तो उससे मिलने वाले शुल्क से अस्पताल की आय भी बढ़ेगी और मरीजों को नाम मात्र के शुल्क में अपने प्राकृतिक दांत बचाए रखना आसान हो जाएगा. इस पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने संज्ञान लिया और  से मेडिकल कॉलेज के डेंटल विभाग में आरसीटी ही नहीं बल्कि फिलिंग का काम भी शुरू कर दिया.

आरसीटी कराने वाली पहली मरीज दिलीपपुर निवासी आरती मिश्र ने  डेंटल ओटी से निकलने के बाद बताया कि आरसीटी में दर्द न के बराबर हुआ. मात्र 268 रुपये फीस जमा हुई जबकि निजी क्लीनिक पर ढाई से पांच हजार रुपये तक लिए जा रहे हैं. आरसीटी करने वाले डॉ. सिद्धार्थ सिंगरौर ने बताया कि दांत के ऊपर की सबसे मजबूत इनेमल की परत किसी भी वजह से टूटती है तो बैक्टीरिया दांत के भीतर प्रवेश कर जड़ तक संक्रमण फैला देते हैं. अब तक ऐसे मरीजों के दांत उखाड़ दिए जाते थे. किन्तु अब ऐसे मरीजों के दांत में छेद कर भीतर से संक्रमण खत्म कर दिया जाएगा. इसके अलावा जिन मरीजों के दांत में होल हो गए हैं उन्हें भी भरने का काम शुरू कर दिया गया है. डॉ. द्रुतिका ने बताया कि आरसीटी कराने के लिए मरीज को चार बार अस्पताल आना पड़ेगा. इसके लिए 268 रुपये शुल्क के रूप में दो बार जमा करना पड़ेगा. इस तरह एक मरीज को आरसीटी के लिए 536 रुपये जमा करने होंगे. जबकि दांत में मसाला फिलिंग के लिए एक बार आना होगा और 268 रुपये फीस जमा करनी होगी. आरसीटी करने वाली टीम में डॉ. जीतेन्द्र सिंह व सुनील सिंह शामिल रहे.

प्राचार्य डॉ. सलिल श्रीवास्तव के निर्देश पर आरसीटी व फिलिंग का काम  से शुरू कर दिया गया है. इस विधि से इलाज कर मरीजों के नेचुरल दांत को बचाया जा सकेगा. -डॉ. सिद्धार्थ सिंगरौर, डेंटल विभाग मेडिकल कॉलेज

 

 

प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क

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