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ऑपरेशन स्पाइडर वेब: ट्रक में लकड़ी के बक्से, बक्सों में किलर ड्रोन... जानें कैसे यूक्रेन ने रूसी एयरबेस पर किया पर्ल हार्बर जैसा हमला

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तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। जब दुनियाभर में इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीदें बढ़ रही थीं, उसी दौरान यूक्रेन ने एक गुप्त सैन्य अभियान को अंजाम दिया है, जिसने रूस की सुरक्षा व्यवस्था की नींव को झकझोर दिया। इस मिशन को ‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’ नाम दिया गया, जिसे यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने "इतिहास की किताबों में दर्ज होने वाला अभियान" बताया है। इस ऑपरेशन की खास बात यह थी कि इसमें अत्याधुनिक हथियारों की बजाय सस्ते, लेकिन प्रभावशाली ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। प्रत्येक ड्रोन की कीमत केवल 1,200 डॉलर थी, लेकिन उनका असर अरबों डॉलर के बराबर रहा।

कैसे हुआ ऑपरेशन?

एनडीटीवी द्वारा जारी एक एआई जनित वीडियो में इस ऑपरेशन की बारीकियों को दिखाया गया है। इसके अनुसार, 117 यूक्रेनी ड्रोन से भरे सेमी-ट्रेलर ट्रक रूसी सीमा के भीतर अज्ञात ड्राइवरों द्वारा ले जाए गए। इन ट्रकों में ड्रोन को लकड़ी के कंटेनरों में छिपाकर रखा गया था। कंटेनरों की छतें रिमोट कंट्रोल से खोली गईं, और फिर ड्रोन ने उड़ान भरकर सीधे रूसी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। ड्रोन हमलों का प्राथमिक उद्देश्य रूस के बॉम्बर विमानों को तबाह करना था। यूक्रेनी सुरक्षा सेवा (SBU) के अनुसार, इन हमलों में 40 से अधिक रूसी युद्धक विमान या तो पूरी तरह नष्ट हो गए या फिर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए। इस नुकसान की कुल अनुमानित लागत लगभग 7 बिलियन डॉलर (करीब 58,000 करोड़ रुपये) आंकी गई है।

सबसे बड़ा निशाना: बेलाया एयरबेस

इस ऑपरेशन का सबसे चौंकाने वाला पहलू था इसका लक्ष्य — बेलाया एयरबेस, जो साइबेरिया के इरकुत्स्क क्षेत्र में स्थित है और यूक्रेन से लगभग 4,000 किलोमीटर दूर है। यह एयरबेस यूक्रेनी लंबी दूरी के ड्रोन या बैलिस्टिक मिसाइलों की पहुंच से बाहर है। इसीलिए इस क्षेत्र तक हमला पहुंचाने के लिए एक बेहद जटिल और साहसिक योजना बनाई गई थी। इस योजना के तहत ड्रोन को रूस के अंदर गुप्त रूप से ट्रकों में ले जाया गया और फिर वहां से उन्हें बेलाया एयरबेस पर हमला करने के लिए रवाना किया गया। यह रणनीति दिखाती है कि कैसे यूक्रेन ने पारंपरिक युद्ध सीमाओं को पीछे छोड़कर सर्जिकल प्रिसीजन और तकनीकी चतुराई से रूस को चौंका दिया।

डेढ़ साल की योजना, रूस के दिल से संचालित

इस ऑपरेशन की योजना को पूरा होने में डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त लगा। जेलेंस्की ने बताया कि ऑपरेशन की निगरानी एक ऐसे कार्यालय से की गई, जो सीधे रूसी सुरक्षा एजेंसी एफएसबी (FSB) के कार्यालय के बगल में था। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वह कार्यालय रूस में कहां स्थित था। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दावा किया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस ऑपरेशन की निगरानी की और अभियान में शामिल सभी ऑपरेटरों को हमले से पहले रूस से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। यह योजना दर्शाती है कि यूक्रेन अब केवल रक्षात्मक मुद्रा में नहीं, बल्कि गहराई तक घुसकर आक्रामक रणनीति अपनाने को भी तैयार है।

एक सस्ते ड्रोन से अरबों डॉलर का नुकसान

ऑपरेशन स्पाइडर वेब ने यह सिद्ध कर दिया है कि युद्ध का भविष्य अब महंगे हथियारों और भारी मिसाइलों पर निर्भर नहीं है, बल्कि सस्ते, स्मार्ट और तकनीकी रूप से दक्ष समाधानों पर है। इस ऑपरेशन में कम लागत में अधिकतम नुकसान पहुँचाने की नीति अपनाई गई। जहां रूस अपनी परमाणु संपन्न सेना और मिसाइल तंत्र के दम पर भारी पड़ने की सोचता रहा, वहीं यूक्रेन ने दिखा दिया कि उसकी लड़ाई की तकनीक कहीं ज्यादा चुस्त और आधुनिक है।

निष्कर्ष

रूस-यूक्रेन युद्ध में यह ऑपरेशन एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। यह दिखाता है कि कैसे छोटे राष्ट्र भी स्मार्ट रणनीति और तकनीकी नवाचार से महाशक्तियों को चौंका सकते हैं। ऑपरेशन स्पाइडर वेब न केवल यूक्रेन के आत्मविश्वास का प्रतीक है, बल्कि यह भी संदेश है कि युद्ध के नियम अब बदल रहे हैं — और आने वाला समय तकनीकी युद्ध का होगा, जहां साहस, रणनीति और रचनात्मकता सबसे बड़ा हथियार होंगे।

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