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इस मंदिर में विराजमान हैं हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ, जानिए कब और कैसे हुआ उनका विवाह?

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हनुमान जी को हिंदू धर्म में शक्ति, भक्ति और समर्पण का अवतार माना जाता है। वे भगवान राम के परम भक्त और अजेय योद्धा के रूप में पूजे जाते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि एक खास मंदिर में हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं? यह बात सुनकर बहुत से लोगों को हैरानी होती है क्योंकि पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का विवाह नहीं हुआ था। आइए जानते हैं इस अनोखी कथा के बारे में, कब और कैसे हनुमान जी का विवाह हुआ और वह मंदिर कहां है जहां वे अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं।

हनुमान जी का विवाह – एक रहस्यमय कथा

परंपरागत पौराणिक कथाओं में हनुमान जी को ब्रह्मचारी यानी अविवाहित रूप में जाना जाता है। वे पूरी तरह से भगवान राम को समर्पित थे और उनकी भक्ति में लीन थे। इसलिए अधिकतर मंदिरों में हनुमान जी की मूर्ति एकल और वीर रूप में स्थापित होती है। लेकिन कुछ स्थानों पर, खासकर मध्य भारत और दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों में, हनुमान जी को उनकी पत्नी सून्दा (या अनंगसुंदरी) के साथ विराजमान दिखाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी का विवाह भगवान शिव और पार्वती के एक अवतार के रूप में हुआ था। इस कथा के अनुसार, सून्दा देवी हनुमान जी की पत्नी थीं, जो उनकी शक्ति और समर्पण की पूर्ति थीं। विवाह का यह प्रसंग खासकर मध्यकालीन लोककथाओं और कुछ क्षेत्रीय धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।

विवाह की पौराणिक कहानी

कहा जाता है कि हनुमान जी की माता अंजना ने एक दिव्य बालक के रूप में उन्हें जन्म दिया था। बाल्यकाल से ही वे अद्भुत शक्तियों से संपन्न थे। एक बार ब्रह्मा और शिव ने उनकी शक्ति को बढ़ाने के लिए उन्हें विवाह योग्य बनाने की योजना बनाई। उसी संदर्भ में, एक सुंदर कन्या सून्दा का विवाह हनुमान जी से हुआ। सून्दा देवी को हनुमान जी की ताकत और भक्ति के अनुसार बनाया गया एक दिव्य स्वरूप माना जाता है।

विवाह के बाद सून्दा देवी ने हनुमान जी के मन को शांति दी और उनके असीम बलों का संतुलन स्थापित किया। कई भक्तों का मानना है कि सून्दा के साथ हनुमान जी का यह दांपत्य रूप उनके पूर्ण रूप का प्रतीक है, जो जीवन में शक्ति और समर्पण के बीच संतुलन दिखाता है।

खास मंदिर जहां विराजमान हैं हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ

राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के कुछ मंदिरों में हनुमान जी की इस रूप की पूजा होती है। खासकर राजस्थान के अलवर जिले के एक मंदिर में, जिसे 'सूंंदा हनुमान मंदिर' कहा जाता है, हनुमान जी और उनकी पत्नी सून्दा की मूर्ति साथ में स्थापित है। यह मंदिर भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है क्योंकि यहां दर्शन से परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बढ़ने की मान्यता है।

मंदिर की स्थापना सदियों पहले हुई थी और यहां हर साल विवाह की वर्षगांठ के रूप में एक विशेष उत्सव मनाया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग बड़ी श्रद्धा और भक्ति से भाग लेते हैं। इस उत्सव में हनुमान जी और सून्दा देवी की पूजा के साथ पारंपरिक रीति-रिवाज भी निभाए जाते हैं।

भक्तों के लिए संदेश

हनुमान जी का यह दांपत्य रूप यह सिखाता है कि जीवन में भक्ति के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियां भी निभानी चाहिए। शक्ति का सही उपयोग तभी संभव है जब वह समर्पण और प्रेम के साथ जुड़ा हो। इस मंदिर की विशेषता और कथा यह संदेश देती है कि भक्ति और परिवार दोनों मिलकर जीवन को पूर्णता प्रदान करते हैं।

हनुमान जी की पत्नी के साथ विराजमान मूर्ति एक अनोखी और दुर्लभ पहलू है, जो हमें उनकी बहुआयामी छवि से परिचित कराती है। यह कथा और मंदिर उनकी शक्ति, भक्ति और पारिवारिक जीवन के संतुलन का प्रतीक हैं। ऐसे मंदिरों का दर्शन कर भक्त अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि की कामना करते हैं।

यदि आप हनुमान जी के इस विशेष रूप को देखना चाहते हैं और उनकी भक्ति में लीन होकर परिवार के सुख-शांति के लिए प्रार्थना करना चाहते हैं, तो राजस्थान के सूंदा हनुमान मंदिर की यात्रा अवश्य करें। यहां आपको भगवान हनुमान की एक ऐसी छवि देखने को मिलेगी, जो आपको जीवन के नए संदेश और प्रेरणा से भर देगी।

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