यह दिल को झकझोर देने वाली कहानी है राजस्थान के चुरू की नेहा (बदला हुआ नाम) की, जिसने महज 11 साल की उम्र से एक ऐसा जीवन जीना शुरू किया, जो ना तो उसका था और ना ही उसकी मर्जी से चुना गया था। बड़ी बहन की मौत के बाद नेहा को उसके जीजा से इसलिए ब्याह दिया गया ताकि उसकी बहन के ढाई साल के बेटे को मां मिल सके। परिजनों ने यह सोचकर शादी कर दी कि बच्चा संभल जाएगा, लेकिन यह नहीं सोचा कि खुद नेहा तो एक बच्ची थी।
नेहा के लिए बचपन, जिम्मेदारियों और घरेलू यातना के बोझ तले कुचल गया। पति विमल (बदला हुआ नाम) उम्र में कहीं ज्यादा बड़ा था और शराबी भी। रोजाना की मारपीट, ताने और मानसिक उत्पीड़न ने नेहा की जिंदगी नर्क बना दी। ससुराल वाले भी उसे एक नौकरानी से ज्यादा नहीं समझते थे। दिनभर घर का काम और रात को पति की हिंसा, यही उसका जीवन बन गया।
लेकिन इसी अंधेरे जीवन में उम्मीद की एक किरण बनी उसका देवर विनय (बदला हुआ नाम)। पहले भाभी-देवर का रिश्ता, फिर दोस्ती और आखिरकार एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हुए यह रिश्ता प्यार में बदल गया। विनय ने नेहा का दर्द समझा, उसका साथ दिया और उसे हिम्मत दी कि वह भी अपनी मर्जी से जीने का हक रखती है।
फिर 13 फरवरी को नेहा ने साहसिक फैसला लिया और विनय के साथ घर छोड़ दिया। दोनों ने ढाई महीने तक देशभर में अलग-अलग जगहों पर शरण ली — कभी गुरुग्राम में, तो कभी मंदिरों में। लेकिन अब नेहा को अपने पति और सास से जान का खतरा है। उसका आरोप है कि दोनों इस रिश्ते को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।
इस डर के साए में जी रही नेहा और विनय ने चूरू के पुलिस अधीक्षक के सामने पेश होकर सुरक्षा की गुहार लगाई है। नेहा का साफ कहना है – “मैंने 12 साल तक अत्याचार सहा, अब मैं सिर्फ जीना चाहती हूं, अपनी मर्जी से। विमल कभी मेरा पति था ही नहीं, विनय ही मेरा सच्चा हमसफर है।”
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