जयपुर, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएचईडी, बयाना में कार्यरत सहायक अभियंता की याचिका को एकलपीठ की ओर से प्रारंभिक स्तर पर खारिज करने के दौरान उस पर दस हजार रुपए का हर्जाना लगाने और विभागीय कार्यवाही शुरू करने का आदेश देने को गलत माना है। इसके साथ ही अदालत ने एकलपीठ के आदेश में दिए गए इन दोनों निर्देशों को निरस्त कर दिया है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश शैलेन्द्र कुमार की अपील पर सुनवाई करते हुए दिए।
अपील में अधिवक्ता सार्थक रस्तोगी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को दिए गए एईएन पद का अतिरिक्त कार्यभार वापस ले लिया गया था। इसे एकलपीठ में चुनौती देने पर एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किए बिना याचिका को प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज कर दिया था। इसके साथ ही एकलपीठ ने याचिकाकर्ता पर फिजूल की याचिका दायर करना बताकर दस हजार रुपए का हर्जाना लगाया था। वहीं विभाग को भी निर्देश दिए थे कि वह इस तरह की याचिका दायर करने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ चार्जशीट जारी करे। अपील में एकलपीठ के इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिका में इस तरह का आदेश देना उचित नहीं है। इसलिए हर्जाना और विभागीय कार्रवाई के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से दिए इन दोनों निर्देशों को रद्द कर दिया है।
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(Udaipur Kiran)
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