Next Story
Newszop

शिक्षक भर्ती घोटाला : पुलिस लाठीचार्ज पर हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग, आंदोलनकारी शिक्षकों पर केस दर्ज

Send Push

कोलकाता, 16 मई . पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन अब न्यायपालिका की चौखट तक पहुंच गया है. शुक्रवार को एक अधिवक्ता ने कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवगणनम से पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी शिक्षकों पर किए गए अनावश्यक और बर्बर लाठीचार्ज मामले में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की है. यह घटना गुरुवार रात साल्ट लेक स्थित शिक्षा विभाग मुख्यालय विकाश भवन के बाहर हुई थी.

उल्लेखनीय है कि राज्य संचालित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के वे शिक्षक जो सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के बाद अपनी नौकरियां खो चुके हैं, गुरुवार से विकाश भवन के सामने धरने पर बैठे थे. देर रात करीब 10 बजे बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय की टीम ने उन्हें हटाने के लिए बल प्रयोग किया, जिसमें कई शिक्षकों को सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आईं.

इस बीच, पुलिस ने भी आंदोलनकारी शिक्षकों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया है. प्राथमिकी में शिक्षकों पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, सरकारी कार्य में बाधा डालने और पुलिस पर हमला करने जैसे आरोप लगाए गए हैं.

हालांकि, ‘योग्य शिक्षक-शिक्षिका अधिकार मंच’ के बैनर तले आंदोलन कर रहे शिक्षकों ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है. मंच के एक प्रतिनिधि ने कहा, “हम पूरी तरह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. किसी भी प्रदर्शनकारी ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया. पुलिस हमें झूठे आरोपों में फंसा रही है और कुछ तस्वीरों का गलत इस्तेमाल कर रही है. लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, हम अंतिम सांस तक आंदोलन जारी रखेंगे.”

प्रदर्शनकारी शिक्षकों की मुख्य मांग है कि राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) तुरंत दागी और निर्दोष उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक करें. उनका आरोप है कि सरकार और आयोग जानबूझकर यह सूची प्रकाशित नहीं कर रहे हैं ताकि पैसे देकर नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों को बचाया जा सके.

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने तीन अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें 25 हजार 753 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी. अदालत ने यह भी कहा था कि सरकार और आयोग दागी और निर्दोष उम्मीदवारों की पहचान करने में विफल रहे, इसलिए पूरी सूची को निरस्त करना पड़ा.

फिलहाल, राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएसएससी ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. लेकिन आंदोलनकारी शिक्षक तब तक पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता.

/ ओम पराशर

Loving Newspoint? Download the app now