जबलपुर, 2 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्यप्रदेश का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहर जबलपुर अब पर्यटन के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर अग्रसर है। पर्यटन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के उद्देश्य से मदन महल की पहाड़ियों पर स्थित ठाकुरताल क्षेत्र को एक एमिनेंट पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी योजना में ‘फॉरेस्ट सफारी-जू कम रेस्क्यू सेंटर’ और संग्रामसागर तालाब के समग्र विकास को भी सम्मिलित किया गया है। इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने वन मंडल अधिकारी ऋषि मिश्रा एवं कंसलटेंट दुबे के साथ भोपाल में विस्तृत चर्चा कर योजना की रूपरेखा तैयार की ।
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि परियोजना को और अधिक गरिमा प्रदान करते हुए प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे वीरांगना रानी दुर्गावती जी के नाम पर विकसित करने की घोषणा की है। यह निर्णय जबलपुर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव को और भी सशक्त करेगा।
मंत्री सिंह ने बताया यह परियोजना लगभग 85 से 100 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित की जाएगी, जिसमें पर्यटकों को प्राकृतिक वन्य जीवन और आधुनिक तकनीकों का समन्वित अनुभव मिलेगा। इस केंद्र में रोबोटिक इंटरप्रिटेशन सेंटर, बटरफ्लाई पार्क, तथा लॉन्ग कार्निवल जैसी आधुनिक सुविधाएँ शामिल होंगी, जिसमें येलो टाइगर, व्हाइट टाइगर, पैंथर, लायन और भालू जैसे आकर्षक वन्यजीव रहेंगे। इसके अतिरिक्त रेप्टाइल हाउस में मगरमच्छ और सांप, जबकि एग्जॉटिक और नेटिव बर्ड्स के लिए विशेष क्षेत्र बनाए जाएंगे। जेब्रा और जिराफ के लिए एक अलग एग्जॉटिक पार्क, वाटर इंटरप्रिटेशन सेंटर, और स्पीशीज वाइज इंटरप्रिटेशन सेंटर जैसे अनेक नवाचार इस परियोजना की विशेषता होंगे।
मंत्री सिंह ने बताया पर्यटकों को रोमांच का अनुभव देने के लिए इस पूरे क्षेत्र को संग्रामसागर तालाब से ठाकुरताल तक ट्रैकिंग, जिपलाइन और बोटिंग के माध्यम से जोड़ा जाएगा, जिससे यह एक सम्पूर्ण एडवेंचर और इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन बन सके। वहीं, ठाकुरताल क्षेत्र में फॉरेस्ट बाथिंग और व्यू प्वाइंट्स जैसे प्राकृतिक आनंद देने वाले स्थल भी विकसित किए जाएंगे।
मंत्री सिंह ने कहा इस परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) अगले तीन माह में तैयार कर ली जाएगी, जिसके बाद विकास कार्यों की शुरुआत की जाएगी। यह परियोजना न केवल जबलपुर को पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान दिलाएगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर, पर्यावरण संरक्षण, और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक
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