अशोकनगर, 29 अप्रैल . जिले में खाद को लेकर जो समस्या पैदा हो रही है उस समस्या के निराकरण का जल्द ही समाधान ढूंढा जा रहा है. किसानों को एनपीके और डीएपी खाद के मामले में क्या अंतर है इससे अवगत कराने के लिए जिले के कई गांव में चौपाल लगाई जाएगी. ग्रामों के लोगों को जागरूक किया जाएगा, यह कहना है कलेक्टर आदित्य सिंह का.
कलेक्टर आदित्य सिंह ने मंगलवार को से बातचीत करते हुए बताया कि जिले में खाद की जो समस्या पैदा हो रही है वह केंद्रीय करण के कारण हो रही है इस समस्या के निराकरण के लिए विकेंद्रीकरण किया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह देखने में आ रहा है कि संपूर्ण खाद का वितरण विपणन संघ की गोदाम से हो रहा है जबकि जिले में सहकारी समितियां है इन समितियां के माध्यम से किसानों तक खाद पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे. समितियो के माध्यम से किसानों को आसानी से खाद प्राप्त हो सकेगा. उन्होंने बताया कि खाद को लेकर अभी सभी किसान एक ही स्थान पर आते हैं किसानों को यह पता नहीं है कि डीएपी और एनपीके में क्या अंतर है एनपीके के बारे में जागरूक करने के लिए गांव में चौपाल लगाई जाएंगी.
होगा 50 चौपालों का आयोजन
कलेक्टर आदित्य सिंह का कहना कि इस तरह की 50 चौपाल का आयोजन किया जाएगा ताकि किसान जान सके की एनपीके का क्या महत्व है और एन पीके लेना क्यों जरूरी है अगर किसानों ने एनपी के को अपनाना शुरू किया तो उनको पूरी तरह डीएपी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा इसके लिए डीएपी और एनपी के में क्या अंतर है इसे लेकर एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जिले में किसी भी प्रकार से खाद की कोई कमी नहीं है. अब तक डीएपी 1000 मेट्रिक टन उपलब्ध है और 16000 मेट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है यूरिया का लक्ष्य 25000 मेट्रिक टन है और 13000 में टन आ चुकी है एनपीके 7000 उपलब्ध है एसपी 6000 की जरूरत है उपलब्ध है और द्वशश्च 300 मेट्रिक टन की डिमांड की गई है इसका उपयोग हालांकि कम होता है .
अशोकनगर में खाद की जरूरत किसानों को जब पडऩा है उसके पहले ही किसान खाद की मांग को लेकर पहुंच रहे हैं यह समस्या कैसे और क्यों बनी है इसे लेकर भी यह देखने में आया है और सुना भी गया है.
सुबह चार बजे कर चुके निरीक्षण
कलेक्टर आदित्य सिंह अपने आवास से सुबह 4: 00 बजे ही खाद गोदाम का निरीक्षण करने अकेले ही जा चुके हैं किसी को कोई पता ही नहीं है की काव्य किसने से चर्चा करके आ गए क्या किसानों ने अपनी समस्याएं बताईं और किस तरह खाद वितरण में व्यवधान आ रहा है और उन्हें डीएपी खाद की ही क्यों जरूरत है इस तरह पर भी इस तारीख के तमाम बिंदुओं पर किसानो की राय गोपनीय ढंग से ले चुके हैं.
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/ देवेन्द्र ताम्रकार
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