यमुनानगर, 29 मई . भारत ही नहीं बल्कि एशिया में यमुनानगर के प्लाईवुड उद्योग का डंका बजता था. लेकिन समस्याओं और टैक्सों की भरमार से प्लाईवुड उद्योग पर संकट गहरा गया है. 500 से अधिक चालू इकाइयों में से अब मात्र 160 इकाइयां ही मुश्किल से चल पा रही है. यह उद्योग पूर्णतः बंद होने की कगार पर है और इस उद्योग के यहां से पलायन होने पर यमुनानगर के लाखों लोग प्रभावित होंगे.
जिला प्लाईवुड निर्माता एसोशिएशन के प्रधान जे.के. बिहानी ने गुरुवार को बताया कि यमुनानगर का प्लाईवुड उद्योग का एशिया भर में नाम था. यहां पर उद्योग अच्छी तरह से फलफूल रहा था.
उत्तर प्रदेश और बिहार के आए हजारों मजदूरों को यहां रोजगार मिल रहा था. लेकिन सरकार की टैक्स नीतियों और बिजली के बढ़ते दामों व फ़िक्स चार्जों के कारण 500 से अधिक इकाइयों में से 350 के करीब बंद हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि नेपाल के मुकाबले यहां की प्लाई ने अपनी गुणवत्ता के कारण अपनी अलग पहचान बनाई हुई थी.
जिस कारण से यहां की प्लाई की मांग देश विदेश में हमेशा बनी रहती थी. लेकिन एक ओर हरियाणा सरकार की उद्योग ओर टैक्स नीतियों के कारण और दूसरी ओर प्रतिस्पर्धा अधिक होने से बाजार में टिकना मुश्किल हो गया.
वहीं यहां पर प्लाई के लिए कच्ची लकड़ी 75 प्रतिशत से अधिक उत्तर प्रदेश से आती थी. लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी अपने प्रदेश में प्लाईवुड उद्योग निर्माताओं को उद्योग स्थापित करने का न्योता दिया जाने और जीएसटी में दस प्रतिशत की हर वर्ष की छूट, भूमि खरीद में स्टांप ड्यूटी फ्री और भी कई सुविधाएं देने की घोषणा करने से यहां के उद्योगपति अपना पलायन कर रहें है.
उन्होंने कहा कि हम यहां पर फैक्ट्री संबंधित सभी तरह के टैक्स देते है. सरकार ने यहां पर इन इकाइयों को अनियमित किया हुआ है. जिस कारण से बैंक ऋण भी नहीं मिलता है.
सरकार को चाहिए कि वह इस उद्योग को बचाने के लिए अपनी टैक्स नीति और फिक्स चार्ज में बदलाव करने पर विचार करें, वर्ना सभी यहां से अपना उद्योग उत्तर प्रदेश में स्थानांतरण करने पर मजबूर होंगे.
/ अवतार सिंह चुग
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