श्री तिरुपति धाम में धूमधाम से मनाया गया शरद महोत्सव
हिसार, 17 अक्टूबर . नजदीकी गांव चिकनवास स्थित श्री तिरुपति बालाजी धाम में शरद महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के उपरांत जब चंद्रमा के दर्शन हुए तो भगवान वेंकटेश जी के विग्रह को माता श्रीदेवी व माता भूदेवी सहित चंद्रयान सवारी पर विराजमान किया गया. इसके उपरांत खीर का भोग लगाकर भगवान की आराधना की गई.
गुरुवार काे पूरा तिरुपति धाम जय श्रीमन्ननारायण, जय तिरुपति बालाजी व जय भगवान वेंकटेश के उदघोष से गुंजायमान हो उठा. श्रद्धालुओं में खीर व सात्विक गोष्ठी प्रसाद का वितरण भी किया गया. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शरद पूर्णिमा का अपना अलग ही महत्व है. इस दिन स्नान और दान का विधान है. ऐसा करने से रूकावटों का समाधान होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है. इसलिए इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखकर उसका सेवन करना विशेष फलदायी माना गया है. ऐसी ही खीर के प्रसाद का वितरण तिरुपति धाम में किया गया.
तिरुपति धाम में आयोजित शरद महोत्सव में हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं ने धाम में स्थापित श्री वेंकटेश भगवान जी, श्री पद्मावती माता जी, श्री गोदांबा माता जी, श्री गरुड़ जी, श्री लक्ष्मी नृसिंह जी, श्री सुदर्शन जी, श्री रामानुज स्वामी जी, श्री शठकोप स्वामी जी एवं श्री हनुमान जी के मंदिर के भी दर्शन किए. धाम में स्थापित 42 फुट ऊंचा सोने का श्री गरुड़ स्तंभ, बलिपीठम् व श्री तिरुपति यज्ञशाला भी दर्शनीय रहे. श्रद्धालुओं ने धाम की श्रीनिवास गोशाला में पहुंचकर गोसेवा करके पुण्य लाभ भी कमाया. इस दौरान तिरुपति धाम में आयोजित होने वाले सात दिवसीय ब्रह्मोत्सव की तैयारियों की समीक्षा भी की गई. 18 से 24 अक्टूबर तक चलने वाले ब्रह्मोत्सव में हर रोज सुबह व सायंकाल सवारी शोभा यात्रा निकाली जाएगी और 21 अक्टूबर को भगवान जी का हिसार नगर भ्रमण रहेगा. 22 अक्टूबर को दिव्य रथ के दर्शन होंगे और भव्य आतिशबाजी की जाएगी. 24 अक्टूबर को सभी विधान पूरे करते हुए ब्रह्मोत्सव का समापन होगा.
/ राजेश्वर
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