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भाजपा ने झारखंड की 'रोटी', 'बेटी', 'माटी' बचाने का किया वादा: JMM के शासन में आदिवासी समुदाय पर संकट

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झारखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रचार के दौरान भावनात्मक नारे ‘रोटी, बेटी, और माटी’ का सहारा लेकर जनता से जुड़ने का प्रयास किया. अपने भाषण में उन्होंने राज्य के सामने खड़ी प्रमुख समस्याओं को उजागर किया और भाजपा की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिसमें आजीविका, महिलाओं की सुरक्षा और भूमि अधिकारों की सुरक्षा शामिल है.

चौहान ने एक चुनावी रैली में जनता को संबोधित करते हुए कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से आपसे वादा करता हूं कि अगर भाजपा झारखंड में जीतती है, तो हम आपकी ‘रोटी’, ‘बेटी’, और ‘माटी’ की रक्षा सुनिश्चित करेंगे.”

‘रोटी, बेटी, माटी’ का क्या मतलब है?

यह नारा झारखंड की जनता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों को दर्शाता है:

  • ‘रोटी’ का प्रतीकात्मक अर्थ है झारखंड में बेरोजगारी संकट. राज्य में कई लोग स्थिर रोजगार पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. भाजपा ने इस समस्या का समाधान करते हुए आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का वादा किया है.
  • ‘बेटी’ महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को संदर्भित करता है, खासतौर पर ‘लव जिहाद’ जैसे विषयों पर जोर दिया जा रहा है. यह एक विवादित शब्द है, जिसे कुछ लोग अंतरधार्मिक रिश्तों में हिंदू महिलाओं को कथित रूप से इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किए जाने की घटनाओं के लिए इस्तेमाल करते हैं. भाजपा खुद को महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा का रक्षक बता रही है.
  • ‘माटी’ भूमि अतिक्रमण या भाजपा द्वारा कथित ‘लैंड जिहाद’ को उजागर करता है, जिसमें राज्य में अवैध प्रवासियों की आमद का मुद्दा उठाया जा रहा है. यह मुद्दा आदिवासी क्षेत्रों में अधिक संवेदनशील है, जहां भूमि अधिकारों को लेकर गहरी चिंताएं हैं.
महिला मतदाताओं के लिए भाजपा का आह्वान

भाजपा का यह संदेश, खासकर महिलाओं की सुरक्षा पर जोर देना, झारखंड की महिला मतदाताओं के साथ एक भावनात्मक संबंध स्थापित करता दिख रहा है. कई महिलाओं ने भाजपा की इन वादों के प्रति समर्थन जताया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी का प्रचार अभियान उन्हें प्रभावित कर रहा है.

मतदाताओं की सोच में बदलाव

भाजपा का संदेश झारखंड के मतदाताओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जिससे यह संभावना बन रही है कि पारंपरिक रूप से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस को समर्थन देने वाले मतदाता भी इस बार भाजपा की ओर झुक सकते हैं. जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, बेरोजगारी, महिलाओं की सुरक्षा, और भूमि अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर भाजपा की रणनीति मतदाताओं के एक महत्वपूर्ण हिस्से को प्रभावित कर सकती है.

झारखंड की विधानसभा के लिए लड़ाई

झारखंड 81 सदस्यीय विधान सभा के लिए आगामी चुनावों की तैयारी कर रहा है, जो नवंबर और दिसंबर के बीच होने वाले हैं. JMM और कांग्रेस के साथ भाजपा की कड़ी टक्कर होने वाली है, लेकिन शुरुआती रुझानों से भाजपा को थोड़ी बढ़त मिलती दिख रही है.

आदिवासी समुदाय की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, भाजपा उनके मुद्दों को सुलझाने के वादे कर रही है, जिससे यह चुनाव काफी कड़ा और दिलचस्प होता जा रहा है. इसका परिणाम झारखंड की राजनीतिक स्थिति को पुनः आकार दे सकता है और राज्य की आर्थिक और सामाजिक नीतियों की दिशा निर्धारित कर सकता है.

चुनाव नजदीक आते ही भाजपा, JMM और कांग्रेस सभी पार्टियां अपने अंतिम प्रयास कर रही हैं, ताकि वे उन वोटों को हासिल कर सकें जो रांची से राज्य की बागडोर किसके हाथों में जाएगी, यह तय करेंगे.

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