लखनऊ, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को हजरतगंज स्थित यूनिवर्सल बुक सेलर्स का भ्रमण किया। उन्होंने पुस्तकालय में उपस्थित विद्यार्थियों से संवाद भी किया।
राज्यपाल ने बताया कि पुस्तकें केवल ज्ञान का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन-दृष्टि, संस्कार, और चरित्र निर्माण का भी आधार होती हैं। एक अच्छी पुस्तक जीवन की दिशा बदल सकती है और व्यक्ति को भीतर से समृद्ध बना सकती है। अपने सार्वजनिक उद्बोधनों और संवादों में वे सदैव अध्ययन की संस्कृति को बढ़ावा देने पर बल देती हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियां ज्ञानवान, संवेदनशील और जागरूक नागरिक बन सकें।
उन्हाेंने बच्चों की पुस्तकों को प्रेरणादायक बताया। इनमें बाल-नाटक, कहानियां तथा रंग-बिरंगी धार्मिक एवं नैतिक शिक्षायुक्त पुस्तकें शामिल थी। जैसे महाभारत, रामायण एवं श्रीमद्भगवद्गीता का बाल संस्करण। उन्होंने साहित्य को बच्चों के मानसिक विकास का सशक्त माध्यम बताया और विशेष रूप से आंगनबाड़ी व स्कूल स्तर पर इन पुस्तकों को पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।
अपने भ्रमण के दौरान राज्यपाल का विशेष ध्यान ‘Sanskrit Non-translatables: The Importance of Sanskritizing English’ (लेखकः राजीव मल्होत्रा) नाम की पुस्तक पर गया, जिसमें यह प्रतिपादित किया गया है कि संस्कृत के अनेक शब्दों का सटीक अनुवाद संभव नहीं है और उन्हें मूलरूप में ही वैश्विक भाषाओं में अपनाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी तथा डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में संरक्षित प्राचीन पांडुलिपियों एवं उनके डिजिटलीकरण के कार्य पर भी चर्चा हुई। राज्यपाल के बुक स्टोर में व्यतीत किया गया समय, उनके पुस्तकों के प्रति गहरे लगाव को दर्शाता है। यूनिवर्सल बुक सेलर्स परिवार ने उनके प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की। इस अवसर पर यूनिवर्सल बुक सेलर्स परिवार के सदस्यगण, कर्मचारी, विद्यार्थी सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / दीपक
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