वाशिंगटन, 18 जुलाई (Udaipur Kiran) । अमेरिका की सौर पैनल निर्माता कंपनियों के एक समूह ने भारत, इंडोनेशिया और लाओस से हो रहे सौर पैनलों के आयात पर टैरिफ (शुल्क) लगाने की मांग की है। इन देशों पर सस्ते दामों पर उत्पादों की बिक्री (डंपिंग) कर अमेरिकी बाजार को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। यह याचिका गुरुवार को अमेरिकी वाणिज्य विभाग के समक्ष दायर की गई।
इस मांग का नेतृत्व ‘अलायंस फॉर अमेरिकन सोलर मैन्युफैक्चरिंग एंड ट्रेड’ नामक समूह कर रहा है, जिसमें फर्स्ट सोलर, दक्षिण कोरियाई कंपनी क्यू-सेल, और निजी कंपनियां टैलोन पीवी और मिशन सोलर शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन देशों की कंपनियों को उनकी सरकारों से अनुचित सब्सिडी मिल रही है और वे अमेरिका में लागत से कम कीमत पर उत्पाद बेच रही हैं, जिससे अमेरिकी निर्माण क्षेत्र को गहरा नुकसान हो रहा है।
याचिका में कहा गया है कि चीनी कंपनियों ने पहले जिन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (मलेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया) में उत्पादन किया था, उन पर पहले ही अमेरिका ने टैरिफ लगाया है। अब वे कंपनियां अपना उत्पादन इंडोनेशिया और लाओस में स्थानांतरित कर रही हैं। साथ ही भारत की कुछ कंपनियां भी अमेरिकी बाजार में कम कीमत पर पैनल बेच रही हैं।
याचिका के मुताबिक, भारत, इंडोनेशिया और लाओस से अमेरिका में सोलर पैनल का आयात वर्ष 2022 में 289 मिलियन डॉलर था, जो 2023 में बढ़कर 1.6 बिलियन डॉलर हो गया, यानी करीब 450 फीसदी की वृद्धि।
याचिका में शामिल वकील टिम ब्राइटबिल ने कहा, “हमेशा से हमारा मानना रहा है कि हमारे व्यापार कानूनों का सख्ती से पालन सौर उद्योग की सफलता के लिए आवश्यक है।”
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने 2022 में पारित ‘इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट’ के तहत घरेलू सौर पैनल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए टैक्स क्रेडिट जैसी कई योजनाएं शुरू की थीं। इसके बाद अमेरिका की सौर पैनल उत्पादन क्षमता 2020 में 7 गीगावॉट से बढ़कर 2024 में 50 गीगावॉट हो गई है। हालांकि, अब भी यह घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जो हर साल लगभग 43 गीगावॉट तक पहुंच चुकी है।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
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