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भारत की गुफा में रहने लगी रूसी महिला! जानिए कैसे कमाती थी लाखों रुपए?

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कर्नाटक के तटीय शहर गोकर्ण की एक गुफा में रहने वाली रूसी महिला नीना कुटीना की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। 40 वर्षीय नीना अपनी दो बेटियों—6 और 8 साल की—के साथ इस गुफा में प्रकृति के बीच एक सादा और शांत जीवन जी रही थीं। लेकिन हाल ही में, जब प्रशासन ने उन्हें गुफा से बाहर निकाला, तो उनकी अनोखी जीवनशैली सुर्खियों में आ गई। नीना का वीजा 2017 में खत्म हो चुका था, फिर भी वह भारत में रहीं। आखिर क्या वजह थी कि वह रूस नहीं लौटीं और गोकर्ण की गुफा को अपना घर बनाया? आइए, उनकी कहानी को करीब से जानते हैं।

प्रकृति के साथ जीने की कला

नीना की जिंदगी सामान्य से बिल्कुल अलग थी। वह सूर्योदय के साथ उठती थीं, नदियों में तैरती थीं और प्रकृति के बीच समय बिताती थीं। वह बताती हैं, “हमारा जीवन सादगी भरा था। मैं मौसम के हिसाब से आग या गैस सिलेंडर पर खाना पकाती थी। पास के गांव से जरूरी सामान खरीदती थी।” नीना और उनकी बेटियां पेंटिंग करती थीं, गाने गाती थीं और किताबें पढ़कर समय बिताती थीं। उनके लिए यह जीवन शांति और सुकून का प्रतीक था। लेकिन गुफा से निकाले जाने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। नीना का कहना है, “अब हमें एक ऐसी जगह रखा गया है जहां न तो निजता है और न ही सुकून। हमें सादा चावल खाने को दिया जाता है, और मेरा सामान, जिसमें मेरे 9 महीने पहले गुजरे बेटे की अस्थियां थीं, भी ले लिया गया।”

कला और मेहनत से चलता था गुजारा

नीना की जिंदगी में पैसों की कमी कभी बाधा नहीं बनी। वह अपनी कला और हुनर के दम पर आजीविका कमाती थीं। “मैं पेंटिंग बनाती थी, म्यूजिक वीडियो तैयार करती थी, कभी-कभी पढ़ाती थी या बेबीसिटिंग करती थी,” नीना ने बताया। जब काम नहीं मिलता था, तो उनके भाई, पिता और बेटा उनकी मदद करते थे। वह कहती हैं, “हमें जो चाहिए था, वह हमारे पास हमेशा पर्याप्त होता था।” उनकी यह स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता उनकी कहानी को और भी प्रेरणादायक बनाती है।

भारत से गहरा लगाव

नीना ने पिछले 15 सालों में 20 देशों की यात्रा की है। उनकी बेटियां अलग-अलग देशों में पैदा हुईं, और नीना ने बिना किसी डॉक्टर या अस्पताल की मदद के उनकी डिलीवरी खुद की। वह कहती हैं, “मैंने यह सब अकेले किया। मुझे ये सब आता था, इसलिए किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ी।” लेकिन भारत के प्रति उनका प्रेम कुछ खास है। कई करीबी लोगों को खोने और दस्तावेजों से जुड़ी समस्याओं के बावजूद वह भारत लौट आईं। “हमें भारत की संस्कृति, पर्यावरण और लोग बहुत पसंद हैं। यहां का माहौल हमें सुकून देता है,” नीना ने कहा। अब वह रूसी दूतावास के संपर्क में हैं और अपनी स्थिति को ठीक करने की कोशिश कर रही हैं।

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