Chardham Yatra 2025 : उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा 29 अप्रैल 2025 से शुरू हो रही है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही लाखों श्रद्धालु इस आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनेंगे। यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देती है।
होटल, परिवहन और स्थानीय व्यवसायों के साथ-साथ घोड़ा-खच्चर संचालकों की आजीविका भी इससे जुड़ी है। इस बार केदारनाथ और यमुनोत्री पैदल मार्ग पर 4300 से अधिक घोड़ा-खच्चर संचालक तीर्थयात्रियों की सेवा में जुटेंगे। क्या आप जानते हैं कि इन सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए इस बार क्या-क्या व्यवस्थाएं की गई हैं?
केदारनाथ - 5000 से अधिक घोड़े-खच्चरों का हुआ पंजीकरण
केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को गौरीकुंड से लगभग 18 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। यह मार्ग खड़ी चढ़ाई और चुनौतीपूर्ण है, जिसके कारण कई यात्री घोड़ा-खच्चर सेवाओं का उपयोग करते हैं। इस साल 2493 संचालकों ने 5000 से अधिक घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण करवाया है। पशुपालन विभाग ने सभी पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया है।
यात्रा मार्ग पर सुविधाओं का भी खास ध्यान रखा गया है। सोनप्रयाग, गौरीकुंड, लिंचौली और केदारनाथ में पशु चिकित्सालय स्थापित किए गए हैं, जहां पांच पशु चिकित्सक और सात पैरावेट तैनात हैं। इसके अलावा, 13 स्थानों पर गर्म पानी की व्यवस्था की गई है ताकि घोड़े-खच्चरों को ठंड से राहत मिले। क्या यह व्यवस्था तीर्थयात्रियों और पशुओं दोनों के लिए यात्रा को और सुरक्षित नहीं बनाएगी?
यमुनोत्री - 3700 घोड़े-खच्चर तैयार
यमुनोत्री धाम के लिए 3700 से अधिक घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण हुआ है। जानकीचट्टी में अस्थायी पशु चिकित्सालय स्थापित किया गया है, जहां चार पशु चिकित्सक, चार पशुधन प्रसार अधिकारी और दो पशुधन सहायक तैनात हैं। टीकाकरण और चिकित्सीय सुविधाओं के साथ, यात्रा मार्ग पर छह गीजर भी लगाए गए हैं। इन प्रयासों से न केवल पशुओं की देखभाल सुनिश्चित होगी, बल्कि तीर्थयात्रियों को भी बेहतर अनुभव मिलेगा।
प्रीपेड काउंटर
यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए केदारनाथ में सोनप्रयाग, गौरीकुंड, भीमबली, लिंचौली और रुद्र प्वाइंट पर पांच प्रीपेड बुकिंग काउंटर बनाए गए हैं। यमुनोत्री में जानकीचट्टी में जिला पंचायत ने प्रीपेड काउंटर की व्यवस्था की है। घोड़ा-खच्चर संचालकों को नंबरयुक्त जैकेट दी जाएगी, और उन्हें एक दिन में केवल एक बार धाम तक जाने की अनुमति होगी। यह कदम यात्रा को सुचारू और सुरक्षित बनाने में मदद करेगा।
मुख्यमंत्री का आश्वासन - यात्रा होगी सुखद
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "श्रद्धालुओं की यात्रा को सुखद और सुरक्षित बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। सड़क परिवहन, हेलीकॉप्टर और घोड़ा-खच्चर सेवाओं को बेहतर किया गया है। पशुपालन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि केवल स्वस्थ घोड़े-खच्चर ही यात्रा में शामिल हों।" उनके इस बयान से स्पष्ट है कि सरकार तीर्थयात्रियों की सुविधा और पशुओं की देखभाल के प्रति गंभीर है।
चारधाम यात्रा उत्तराखंड के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देती है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को भी मजबूत करती है। घोड़ा-खच्चर संचालक इस यात्रा की रीढ़ हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी तीर्थयात्रियों की सेवा करते हैं। इस बार की व्यवस्थाएं, जैसे पशु चिकित्सालय और गर्म पानी की सुविधा, उनकी मेहनत को और प्रभावी बनाएंगी।
क्या आप इस साल चारधाम यात्रा की योजना बना रहे हैं? अगर हां, तो इन नई व्यवस्थाओं से आपकी यात्रा पहले से कहीं ज्यादा आरामदायक हो सकती है। उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन की कोशिशें निश्चित रूप से इस पवित्र यात्रा को और यादगार बनाएंगी।
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