धनतेरस को दीपावली का पहला दिन माना जाता है, जो स्वास्थ्य, समृद्धि और सुरक्षा के लिए खास तौर पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव और माता लक्ष्मी की पूजा होती है। लोग सोना, चांदी, नए बर्तन और कीमती सामान खरीदकर घर में धन-समृद्धि का स्वागत करते हैं। शाम का समय इन देवताओं की पूजा के साथ-साथ यमराज को भी याद करने का होता है, जिसे यम दीपदान कहते हैं।
यम दीपदान की परंपरा इस परंपरा में यमराज के नाम पर एक खास दीया जलाया जाता है और एक विशेष मंत्र का जाप किया जाता है। इससे लंबी उम्र, स्वस्थ जीवन और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव का आशीर्वाद मिलता है। धनतेरस की शाम में ये रिवाज अपनाने से परिवार की रक्षा होती है।
धनतेरस पर कितने दीए जलाएं? धनतेरस के दिन कुल 13 दीए जलाना बेहद शुभ माना जाता है। इन्हें घर के अलग-अलग कोनों में रखें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। पहला दीया घर के बाहर कचरे के पास जलाएं, जिसका मुंह दक्षिण दिशा की ओर हो। ये यमराज का दीया कहलाता है और अकाल मृत्यु के खतरे को कम करता है। बाकी 12 दीए मेन गेट, तुलसी पौधे के पास, छत, पीपल के पेड़ के नीचे, मंदिरों और कूड़ेदान के पास जलाएं। बाथरूम और खिड़की के पास भी एक-एक दीया रखना अच्छा रहता है। इस तरह 13 दीयों की परंपरा से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
यम दीपदान का महत्व यमराज के नाम का ये दीया भाई दूज तक लगातार जलता रहना चाहिए, बुझने न पाएं। इसका मुंह हमेशा दक्षिण दिशा की ओर रखें। जलाते वक्त यमराज से लंबी आयु, अच्छी सेहत और परिवार की सुरक्षा की प्रार्थना करें। मान्यता है कि ये दीपदान नरक के द्वार बंद कर देता है और मृत्यु के बाद नरक से बचाता है। साथ ही, नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर भगाता है।
यम दीपदान मंत्र दीया जलाते समय ये मंत्र पढ़ें: मृत्युनाऽ पाशहस्तेन कालेन भार्या सह। त्रयोदशीं दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥ सही उच्चारण से इसकी ताकत और बढ़ जाती है, जो यमराज की कृपा दिलाता है।
दीए जलाने के अन्य फायदे 13 दीए जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का वास होता है। परिवार को स्वास्थ्य और लंबी उम्र का वरदान मिलता है। नकारात्मक शक्तियां और दुर्भाग्य दूर रहते हैं। यमराज की कृपा से अकाल मृत्यु जैसे संकट टल जाते हैं। धनतेरस पर सही जगह पर दीए जलाना, यम दीपदान और मंत्र जाप न सिर्फ परंपरा है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से घर-परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
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