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IAS में 25 की उम्र में चौथा रैंक! जानिए अर्तिका शुक्ला की सक्सेस स्टोरी

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सिविल सेवा परीक्षाओं की कठिन और चुनौतीपूर्ण दुनिया में कई प्रेरणादायक कहानियाँ सामने आती हैं, लेकिन अर्तिका शुक्ला की कहानी कुछ खास है। मात्र 25 साल की उम्र में साल 2015 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में चौथा रैंक हासिल कर अर्तिका ने न सिर्फ इतिहास रचा, बल्कि अपने पहले ही प्रयास में यह साबित कर दिखाया कि मेहनत और लगन से कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है। उनकी यह उपलब्धि उनके दृढ़ संकल्प और समर्पण का जीता-जागता सबूत है।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

5 सितंबर 1990 को वाराणसी के गांधीनगर में जन्मी अर्तिका ने अपने शुरुआती सालों में ही पढ़ाई के प्रति अपनी गहरी रुचि दिखाई। उनके पिता डॉ. ब्रिजेश शुक्ला, जो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक सम्मानित पूर्व सचिव रहे, ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। वाराणसी के सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ाई के दौरान अर्तिका ने अपनी शैक्षिक नींव को मजबूत किया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें हमेशा सबसे आगे रखा, जिसने आगे चलकर उनकी इस बड़ी सफलता की राह तैयार की।

प्यार और IAS की राह में नया मोड़

अर्तिका की जिंदगी में तब एक नया रंग भरा, जब उनकी मुलाकात यूपीएससी 2015 में तीसरे रैंक हासिल करने वाले जसमीत सिंह से हुई। कठिन IAS प्रशिक्षण के बीच दोनों के बीच प्यार पनपा। इस प्रेम कहानी ने जल्द ही एक खूबसूरत मोड़ लिया और साल 2017 में दोनों ने शादी के बंधन में बंधकर अपनी जिंदगी का नया अध्याय शुरू किया। यह प्यार और मेहनत का अनोखा संगम था, जिसने अर्तिका की कहानी को और भी प्रेरणादायक बना दिया।

करियर और व्यक्तिगत जीवन का संतुलन

अर्तिका को शुरू में भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए केंद्र शासित प्रदेश कैडर में नियुक्ति मिली थी, लेकिन उन्होंने अपने पति जसमीत के साथ अपने पेशेवर जीवन को संरेखित करने के लिए राजस्थान कैडर चुनने का फैसला किया। यह निर्णय उनकी निजी और पेशेवर जिंदगी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अर्तिका की यह पसंद उनकी समझदारी और संतुलन को दिखाती है, जो आज के युवाओं के लिए एक मिसाल है।

एक प्रेरणा का प्रतीक

अर्तिका शुक्ला की कहानी सिर्फ एक IAS टॉपर की कहानी नहीं है, बल्कि यह मेहनत, प्यार और जीवन में संतुलन की एक मिसाल है। उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि सही दिशा में लगन और मेहनत से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है। चाहे वह सिविल सेवा की कठिन राह हो या निजी जिंदगी की चुनौतियाँ, अर्तिका ने हर कदम पर जीत हासिल की। उनकी यह कहानी हर उस युवा को प्रेरित करती है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर है।

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