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अब कारोबारी बिना भय के करें काम, इन नियमों को तोड़ने पर नहीं होगी गिरफ्तारी

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मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने व्यापारियों और बिजनेस करने वालों को दिवाली से पहले एक जबरदस्त तोहफा दे दिया है। अब अगर कोई नियम तोड़ता है, तो सीधे जेल नहीं भेजा जाएगा, बल्कि बस जुर्माना भरकर घर लौट सकता है। जी हां, यूपी सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025’ जारी कर दिया है, जो कारोबारियों के लिए गेम चेंजर साबित होने वाला है। इस नए अध्यादेश में कई पुराने कानूनों के तहत मिलने वाली जेल की सजा को पूरी तरह से हटा दिया गया है। अब सिर्फ जुर्माना लगेगा, वो भी ऐसा कि हर तीन साल में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। ये फैसला शुक्रवार को प्रमुख सचिव विधायी जे.पी. सिंह ने जारी किया। व्यापारी भाई लोग अब राहत की सांस ले सकते हैं, क्योंकि बिजनेस करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है।

सरकार का मास्टरस्ट्रोक: ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को मिली रफ्तार

ये पूरा कदम उत्तर प्रदेश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। सरकार का मानना है कि छोटे-मोटे उल्लंघनों पर जेल भेजने से व्यापारियों का मनोबल गिरता है और बिजनेस प्रभावित होता है। इसलिए अब फोकस जुर्माने पर है, ताकि कारोबारी डरें नहीं और आगे बढ़ें। ये अध्यादेश ऐसे समय में आया है जब यूपी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए लगातार सुधार कर रहा है। व्यापारियों का कहना है कि ये फैसला उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग थी। अब बिजनेस में रिस्क कम होगा और ग्रोथ तेजी से बढ़ेगी। सरकार ने साफ कर दिया है कि ये बदलाव कारोबार को सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

अब इन कानूनों में जेल की जगह जुर्माना ही काफी

अब बात करते हैं उन खास कानूनों की, जहां जेल की सजा को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। सबसे पहले गन्ना (आपूर्ति एवं क्रय विनियमन) अधिनियम। पहले इसमें छह महीने तक की जेल हो सकती थी, लेकिन अब वो सजा गायब। इसके बदले सिर्फ दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। गन्ना किसानों और मिल मालिकों के लिए ये बड़ी राहत है, क्योंकि छोटी गलतियों पर अब कोर्ट-कचहरी का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।

फिर आता है सिनेमा (विनियमन) अधिनियम 1955 और नगर निगम अधिनियम 1959। इनमें पहले एक महीने तक की जेल की सजा का प्रावधान था, जो अब पूरी तरह से समाप्त हो गया। अब जुर्माना ही लगेगा, वो भी शहर की आबादी के हिसाब से। छोटे शहरों में एक लाख रुपये से शुरू होकर बड़े शहरों में पांच लाख रुपये तक का जुर्माना। सिनेमा हॉल चलाने वालों और नगर निगम से जुड़े व्यापारियों के लिए ये खुशखबरी है। अब लाइसेंस या नियमों की छोटी चूक पर जेल का डर नहीं सताएगा।

जुर्माने में हर तीन साल 10% का इजाफा – क्यों जरूरी?

सरकार ने स्मार्ट तरीके से जुर्माने की राशि को भी फिक्स कर दिया है। हर तीन साल में इसमें 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। इसका मतलब है कि नियम तोड़ने की कीमत समय के साथ बढ़ेगी, ताकि लोग बार-बार गलती न करें। लेकिन व्यापारियों के लिए ये अभी भी जेल से बेहतर ऑप्शन है। प्रमुख सचिव जे.पी. सिंह ने अध्यादेश जारी करते हुए कहा कि ये बदलाव बिजनेस को आसान बनाने के साथ-साथ अनुशासन भी बनाए रखेगा।

व्यापारियों की खुशी का ठिकाना नहीं

यूपी के व्यापारी संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि पुराने कानूनों में जेल का प्रावधान डर पैदा करता था, जिससे नए उद्यमी हिचकिचाते थे। अब जुर्माना भरकर आगे बढ़ने का रास्ता खुल गया है। छोटे दुकानदार से लेकर बड़े इंडस्ट्री वाले तक, सभी को फायदा होगा। सरकार का ये कदम यूपी को बिजनेस हब बनाने की दिशा में मजबूत कदम है।

आगे क्या होगा?

ये अध्यादेश अभी शुरूआत है। सरकार ने संकेत दिए हैं कि और भी कानूनों में ऐसे सुधार आएंगे। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में यूपी पहले से ही टॉप पर पहुंच रहा है, और ये फैसला इसे और ऊपर ले जाएगा। व्यापारियों से अपील है कि नियमों का पालन करें, लेकिन अगर गलती हो भी जाए तो जुर्माना भरकर नया शुरू करें।

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